रावन का सिर..
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बहुत साल पहले एक स्कूली छात्र ने रावण का ऐसा चित्र बनाया जिसमें उसके सिर एक के ऊपर एक लगे हुए थे। टीचर पहली बार में अचकचा गया, लेकिन उसने धैर्य रखा और छात्र को बुलाकर पूछा कि क्या तुमने रावण की तस्वीर नहीं देखी है। छात्र ने कहा देखी है। टीचर ने पूछा कि फिर तुमने सिर एक के ऊपर एक क्यों बनाए हैं। तो छात्र का जवाब था कि दाईं और बाईं और सिर बनाने से पहली गलती यह होती कि एक ओर चार सिर बनते और दूसरी तरफ पांच। इससे रावण कभी बैलेंस नहीं बना पाएगा और उसका सिर हमेशा एक ओर झुका रहेगा। व्यवहारिक तौर पर यह संभव नहीं है। टीचर खुश हुए। उन्होंने छात्र की और परीक्षा ली। पूछा और भी तो कोई विन्यास हो सकता था। इस पर छात्र ने कहा कि हां एक और विन्यास हो सकता है। अंगूर के गुच्छे की तरह। लेकिन इससे रावण हमेशा दृष्टिभ्रम का शिकार रहेगा। ऐसे में सिर ऊपर की ओर होने में न्यूनतम नुकसान की आशंका है। वैसे उसे बैलेंस बनाने में अब भी दिक्कत आएगी, शरीर की तुलना में अधिक भारी सिरों के बोझ के कारण...