मनुष्य का स्वभाव क्या चीज़ हैं ?

हर प्राणी का ,हर व्यक्ति का,हर परिवार का ,हर जाती का समाज का ,राष्ट का और युग का  स्वभाव अलग हैं
यह स्वभाव बनता कैसे हैं ?यह जानना जरुरी हैं क्यूँ कि स्वभाव आसानी से बदलता नहीं ,कभी कभी ये मनुष्य की इच्छाशक्ति को भी परास्त  कर देता हैं ,मनुष्य लाचार हो के स्वभाव के वश में हो जाता हैं।
यह स्वभाव आप ही आप नहीं बनता यह बनते बनते बनता हैं ,इसलिए ये इतना मजबूत हो जाता हैं ,एसा भी नहीं की स्वभाव को बदला नहीं जा सकता ,प्रयत्न और अनुभव से इसमें थोडा बहुत परिवर्तन किया जा सकता हैं।
कुछेक घटनाओं को छोड़ दे तो ऐसे उदहारण कम ही मिलते हैं की किसी व्यक्ति का समस्त स्वभाव एक दम बदल गया हो ,हमारे स्वभाव में कभी कभी क्रांति भी होती हैं लेकिन अगर अनुकूलता न मिले तो मनुष्य फिर पुराने स्वभाव की और फिसल जाता हैं।
तत्वज्ञ कहते हैं की हमारे स्वभाव का प्रारम्भ हमारे जन्म से पहले शुरू हो जाता हैं ,मा बाप का स्वभाव ,कुल ,परम्परा और आस पास की परम्परागत परिस्थति इन सब बातों से जो संस्कार हमे मिलते हैं ये ही हमारे स्वभाव का निर्धारण करने वाले मूल तत्व हैं।
तत्वदर्शी तो पूर्व जन्मो के अनुभव और संस्कारों को भी मनुष्य सवभाव के लिए उत्तरदाई मानते हैं ।
इस प्रकार तरह तरह के संस्कार लेते हुवे और अपने पुरुषार्थ ,कल्पना ,चिंतन कौशल और अनुभव से अपना ज्ञान बढाकर मनुष्य अपने स्वभाव की बुनियाद को मजबूत करता हैं। ~दिलीप कुमार सोनी

Comments

  1. आलेख अच्छा बना है पर मुझे लगता है इसे और विस्तारित करना चाहिए। शुरूआत सहज और सुंदर पर आप थोडा प्रुफ रिडिंग की और भी ध्यान दें। वैसे आपके भाव हम तक पहुंच रहे हैं; कोई दिक्कत नहीं। अपेक्षा यह है कि आपका ब्लॉग शक्तिशाली बने पूरी शुद्धता के साथ।
    drvtshinde.blogspot.com

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    1. विजय जी ,मुझे अभी हिंदी साहित्य की कोई समझ नहीं हैं ,जेसा सोचता और बोलता हूँ वेसा ही लिख देता हूँ ,विस्तार से लिखने की आदत शुरू से ही नहीं रही ,क्यूँ की स्कूल का home वर्क कभी पूरा किया ही नहीं :)और मैंने ऊपर लिखा ही हैं कि स्वभाव बदलने मैं समय और धैर्य की जरुरत हैं ..सो कोशिश जारी हैं आप लोगो का साथ रहा तो काफी कुछ सिखने को मिलेगा .

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  2. सुन्दर पोस्ट सर थैंक्स।

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