प्रमाण पत्र -कहानी

ये कहानी मुझे राजस्थानी भाषा में मुझे मेरे भुवा के लड़के ने काफी साल पहले सुनाई थी ,उसी का हिंदी अनुवाद कर के प्रस्तुत कर रहा हूँ ,उम्मीद हैं आपको पसंद आएगी .

एक गीदड़ भूख और प्यास से परेशान भटकते भटकतें जंगल से बाहर एक गाँव में आ गया .गाँव में घुसते ही उसे एक कागज का टुकड़ा दिखाई दिया ,जिस पर थोड़ी बहुत मिठाई लगी हुई थी ,उसको अच्छी तरह से चाटने के बाद भी मीठा होने की वजह से उसने उसको मुंह में दबाये रखा और आगे बढ़ गया .

गाँव के कुत्तों को खाने पाने की कोई समस्या नहीं थी इसलिए वे डटकर खाने के बाद दोपहर की गर्मी में आराम से सो रहे थे .गीदड़ एक बार कुत्तो को देख कर रुका ,लेकिन उसने देखा कि कोई कुत्ता उसकी तरफ नहीं देख रहा हैं ,वो हिम्मत करके पुरे गाँव में घूम आया ,किसी ने उसको रोका नहीं ,अच्छी तरह से पेट भर जाने से वो काफी खुश था और अब उसका दिमाग भी चलने लगा .
उसने सोचा की ये जो "कागज " का टुकड़ा हैं ये जरुर कोई "प्रमाण पत्र "हैं इसलिए तो कूत्तो ने डर के मारे मेरी तरफ देखा तक नहीं .
एसा सोचते सोचते वो अपने भाई बंधुओं के पास लौट आया ,उसे खुश  देखकर दुसरो ने पुछा "भाई बड़े खुश हो क्या बात हैं ",गीदड़ बोला -आज से तुम सब लोगो के दुःख समाप्त हो गए हैं ,तुम सब मेरे साथ चलो तुम्हारे खाने पीने का सब इंतजाम कर दिया हैं ,पास ही एक गाँव हैं जन्हा बहुत खाना हैं .
दुसरे गीदड़ बोले -भाई गाँव में तो कुत्ते रहते हैं और वो तो हमारे दुश्मन हैं ,हमें दखते ही हम पर टूट पड़ेंगे .
"उसकी चिंता तुम मत करों ,कुत्ते अब हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकते ,मेने सरकार से प्रमाण पत्र ले लिया हैं ,एसा कहकर गीदड़ ने सबको वो कागज का टुकड़ादिखाया  और अपनी कहानी सुनाई .
सारे गीदड़ बहुत खुश हुवे और उस से बोले भाई हमे भी गाँव ले चलो कई दिनों से अच्छा खाना नहीं खाया ,हम सब आज से तुम्हे अपना नेता घोषित करते हैं .
वो नेता गीदड़ पुरे झुण्ड की लेकर गाँव की और चल पडा ...उधर गाँव में शाम का समय  हो गया और सारे कुत्ते जाग गए थे .
गीदड़ गाँव में घुसने वाले थे उनकी आवाज़ सुनकर सारे कुत्ते इकट्ठे हो गए ,जैसे ही गीदड़ घुसे कुत्ते उन पर टूट पड़े ,कुत्तो के हमले से परेशान होकर वे बोले "अरे नेता तेरे पास जो प्रमाण पत्र हैं वो इनको दिखाता क्यूँ नहीं "
नेता गीदड़ बोला -जान बचाकर भागलो  ,एक दो को दिखाया था पर समझे नहीं लगता हैं यंहा तो सब अनपढ़ हैं
भागने में ही भलाई हैं .~दिलीप कुमार सोनी

Comments

  1. हा हाहा हा बहुत ही प्रेरक कहानी मूर्खो को प्रमाणपत्र दिखने से फायदा नही.

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    1. और मूर्खो को प्रमाण पत्र देने का भी फायदा नहीं :)))

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    2. पूर्णिमा जी .मेरे पास तो वेसे ही कोई प्रमाण पत्र नहीं हैं :) जिनके पास हैं वो चिंता करें .

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    3. This comment has been removed by the author.

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  2. आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (14-04-2013) के चर्चा मंच 1214 पर लिंक की गई है कृपया पधारें. सूचनार्थ

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    1. अरुण जी ,चर्चा मंच पे मैंने देखा पर मुझे कुछ समझ नहीं आया ,क्या आप मेरी मदद करेंगे ?

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  3. हा हा हा हा...
    बहुत सुन्दर....बेहतरीन प्रस्तुति
    पधारें "आँसुओं के मोती"

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    1. प्रतिभा जी आपका लिंक शो नहीं हो रहा ...ब्लॉगर कमेंट में लिंक शो करने के लिए इस कोड का प्रयोग करें आसुंओ के मोती ऐसे करने से आपका लिंक इस तरह से शो होगा
      आँसुओं के मोती

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