कृष्ण की रास लीला क्या थी ?

इस पोस्ट में मैं कृष्ण की रासलीला के सम्बन्ध में प्रकाश डालना चाहता हूँ ,कृष्ण के अस्तित्व को ठुकराया नहीं जा सकता क्यूँ की जितने भी स्थानो का वर्णन कृष्ण से सम्बन्धित ग्रंथो में किया गया उन सब के प्रमाण मिलते ही हैं।

कृष्ण इश्वर का अवतार थे या मनुष्य ये एक अलग मुद्दा हैं ,परन्तु इस बात में कोई संदेह नहीं की वे एक कुशल राजनीतिज्ञ ,वक्ता ,राजा  ,योगी ,योद्धा और बुद्धिमान व्यक्ति थे।
आमतौर लोग अपने प्रेम प्रसंग की बात चलने पर कह देते हे की ऐसा तो कृष्ण भी करते थे तो हम क्यूँ न करें ,
कृष्ण क्या करते थे उसे समझने के लिये पहली बात की उस समय कृष्ण की आयु क्या थी ?
इतिहासकारों के अनुसार कृष्ण ने जब कंस का वध किया तो  उनकी आयु १३ से १४ वर्ष की थी कुछ इतिहासकार ९से १० वर्ष की आयु भी मानते हैं ,आज के ज़माने में बच्चे भले ही टीवी देखकर एडवांस हो गए हो मगर जो ये पोस्ट पढ़ रहे हैं उनमे कई लोग मानते होंगे कि ज्यादा समय नहीं हुवा जब  १५/१६ वर्ष की आयु तक के बच्चे नेकर में ही स्कूल जाते थे ।
तो क्या कृष्ण का १२/१३ साल की उम्र में अपने से बड़ी गोपियों के साथ खेलना संदेह की दृष्टि में आता हैं ?
राधा और कृष्ण का भी उदाहरण ले लीजिये इतनी ही उम्र राधा की थी शायद छोटी भी हो ,मथुरा जाने के बाद कृष्ण कभी वापस गोकुल नहीं गए । बालक का गोपियों के साथ नृत्य करना एक विशुद्ध प्रेम और आनंद का ही विषय हो सकता है। अत: कृष्ण रास को शारीरिक धरातल पर लाकर उसमें मोजमस्ती या भोग विलास जेसा कुछ ढूंढना इंसान की खुद  की फितरत पर निर्भर करता है।

ये तो कुछ तर्क थे पर वास्तिवकता ये हैं की कृष्ण एक महान योगी थे ,जिस को लोग रासलीला  कहते हैं वो वास्तव में ध्यान और योग की एक विधि थी ,एसी कुछ विधियाँ अभी भी भारत में कई लोगो के पास हैं जिनमे साधक ध्यान की अवस्था में इतने मग्न हो जाते हैं की उन्हें समय का अहसास नहीं होता ,उन्हें अपने आस पास की घटनाओं का भी कुछ समय के लिए स्मरण नहीं रहता ,कृष्ण ने अपनी योग्यता से बाल्यवस्था में ही योग की एसी उच्चावस्था प्राप्त कर ली थी और वे दुसरो को उस अवस्था तक ले जाने में सक्षम थे ।
~दिलीप कुमार सोनी

Comments

  1. कृष्ण के प्रेम से मौजमस्ती भोगविलास से तुलना करने वाले महामूर्ख ही होंगे,बहुत ही सार्थक आलेख.

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    1. राजेंद्र जी लोग कुछ भी कह देते हैं और क्यूंकि सुनने वाले को भी पता नहीं होता इसलिए वो भी कुछ कह नहीं पातें कम से कम ऐसे मुद्दों की पड़ताल हमें जरुर करनी चाहिए जिनमे किसी महापुरुष की निंदा की गई हो .

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  2. पर जहाँतक मेरी जानकारी है राधा उम्र में बड़ी थी....लेख रोचक है क्योकि इस प्रकार की आलोचनाओ के विरोध में मैंने भी अहम भूमिका निभाई है ...

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