जिज्ञासा नास्तिकता नहीं हैं .


मैं शुरू से ही जिज्ञासु रहा हूँ ,हर विषय के बारे में जानने की जिज्ञासा रही हैं ,धर्म और अध्यातम के क्षेत्र में मैं जिनसे मिला उसमे से कई लोग मुझे नास्तिक समझते हैं ,जबकि ऐसा हैं नहीं .
किसी ने ये नहीं कहा कि तुम प्रश्न करो तब तक करो जब तक शंका दूर न हो ,किसी ने कह दिया जाओ गीता पढ़ लो ,किसी ने कह दिया तुम कुतर्की हो व्यर्थ उलटे सीधे तर्क करते हो ,किसी ने कह दिया अरे तुम तो महापुरुषों की बातों का खंडन करते हो घोर नरक में जाओगे .
मैंने उनसे पूछ लिया महाराज कम से कम नरक तक तो पहुंचा दो अगर आप उसके बारे में जानते हो तो:)
 जिन लोगो ने वेद ,पुराण और गीता पढने की सलाह दी उन्हें ये बात क्यूँ समझ नहीं आई की ये ग्रन्थ परस्पर संवाद के आधार पर ही बने हैं .
गीता तो पूरी तरह से अर्जुन द्वारा किये गए प्रश्नों का कृष्ण द्वारा  उत्तर हैं ,असली समस्या दूसरी हैं ,जो लोग धर्म के ठेकेदार बने हैं उनका खुद का कोई निजी अनुभव आत्मा ,और इश्वर जेसे विषयों में नहीं हैं ,इसलिए वो ऐसे प्रश्नों का उत्तर देने से घबराते हैं .
जो खुद प्रकाशित हो चूका हैं उसी में दुसरो को प्रकाश देने का सामर्थ्य होता हैं .
भारत मैं ज्यादातर लोग तंत्र मंत्र से प्राप्त छोटी मोटी सिद्धियों के बल पर लोगो के अध्यात्मिक गुरु बने हुवे हैं और कुछ लोग रटे हुवे संस्कृत के मंत्र धनाधन बोलकर सामने वाले पर प्रभाव डालने का प्रयास करते हैं .
 "अध्यातम के मार्ग पर गुरु का होना नितान्त आवश्यक हैं "  भारतीय  जनमानस की इसी अवधारणा का दुरूपयोग नकली गुरुओं द्वारा किया जा रहा हैं~दिलीप कुमार सोनी

Comments

  1. पहले तो नवराञ की हार्दिक शुभकामनायें
    आपने जो लेख लिखा वह समय के अनुसार बिलकुल सही है
    धन्‍यवाद ऐसे ही लिखते रहिये
    मेरी नई पोस्‍टListen To Free Hindi Maa Durga Bhajans Online (नवरात्र में माता के भजन)

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    1. कोशिश जारी हैं ....धन्यवाद

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  2. सुंदर लेख ,बधाई
    guzarish66.blogspot.in/2013/04/2.html

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  3. गली गली में ऐसे महागुरु मिल जायेगे जो बिना पूछे ही भगवान से मिलने का रास्ता बताने लगते है.

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  4. बेहद शानदार पोस्ट दिलीप जी, आपने ब्लॉगर फालोअर विजेट नहीं लगाया है प्लीज उसे लगाएं जिससे आप की पोस्ट मेरे डेश बोर्ड पर नियमित रूप से डिस्प्ले होती रहे थैंक्स।

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    1. Google+followers लगा रखा हे,इस से अच्छा कोई विजेट हो तो बताएं .

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  5. आप का लेख प्रासंगिक है। बहुत सुंदर अभिव्यक्ति,ऐसे ही सतत लिखते रहिए।

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