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Showing posts from July, 2013

मखाने की करी / फूल मखानी ग्रेवी

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मखाने  की करी / फूल मखानी  ग्रेवी सामग्री: 2-3 कप फूल मखानी / कमल के  बीज 1 बड़ा प्याज, बारीक कटा बारीक  कटे हुऐ 2 बड़े टमाटर, 1 चम्मच जीरा 1 चम्मच गरम मसाला 1-2 बड़े चम्मच चीनी (स्वाद केहिसाब से कम या ज्यादा  करें) हरा धनिया का छोटा गुच्छा, बारीक कटा 1 बड़ा चम्मच तेल अथवा  तलना हो तो अधिक तेल ( मखानो के लिए ) स्वाद के लिए नमक पेस्ट को  चिकना करने के लिए पिसा हुआ :1/2 या  3/4 कप नारियल 1 बड़ा चम्मच काजू सूखा 1 बड़ा चम्मच खसखस हल्का  सुनहरा   भुना हुआ 1 इंच दालचीनी 3 लौंग 3 हरी इलायची 1 इंच अदरक, बारीक कटी हुई विधि: आप गहरे तल के पैन में मखानो को तल ले अथवा उन्हें १ बड़ा चम्मच तेल के साथ उथले पैन में भुने ,आप इसमें फ्लेवर के लिए  एक थोडा सा नमक और मिर्च पाउडर मिला सकते  हैं और मखानो  हल्के सुनहरे भूरे रंग के होने पर एक अलग बर्तन में निकाल  ले | काजू, भुना हुआ खसखस, इलायची, लौंग,  दालचीनी महीन पीस ले ...ज़रूरत के हिसाब से थोडा पानी भी मिला सकते है ....पेस्ट को चिकना व व्यंजन को  स्वादिस्ट  के लिए अदरक और ...

एक कमल ऐसा भी ...........

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एक कमल ऐसा भी *********** ************ कमल के तीन भेद हैं । एक नीलकमल जिसे "इन्दीवर" कहतें हैं ।दूसरा लालकमल जिसे "पुण्डरीक"कहतें हैं एवं तीसरा श्वेतकमल जिसे "कोकनद" कहतें हैं । इन्दीवर वही है जिसे "राम की शक्ति पूजा" मे निरला जी ने शक्ति आराधन का साधन बनाया था और कोकनद इधर उधर नालों पोखरों मे कभी कभार विराजमान दिखाई दे जातें हैं । पुण्डरीक महाशय भारत के अन्य हिस्सों मे "लाल" ही सुनाई पडतें हैं  लेकिन  बादाँ मे इनका रंग "भगवा" है ।भगवा पुण्डरीक केवल बाँदा मे ही मिलता है । कमल की समस्त कोटियों और विशेषताओं को धता बताते हुए इस पुण्डरीक के अजीबोग़रीब लक्षण हैं ये आम कमल जैसा कतई नहीं है इसमे जैवीय एवं अतिमानवीय लक्षण पाए जातें हैं ।आदमी जैसा चलना ,बैठना उठना सब कुछ इन्सानी हरकतें और अवगुण भी छल,धोखा , बकवास ,झूठ, कृतध्नता ,इत्यादि .....।ये कमल सूर्य के उदय अस्त से वास्ता नहीं रखता निजी स्वार्थ और पैसे से वास्ता रखता है ।पैसा लेकर खिलता है ।पैसा लेकर बन्द होता है ।पैसा लेकर ही अपनी सडांध (बताना भूल गया था ये कमल बदबूदार है) फैलाता...

अब ट्रेन में "वेटिंग टिकिट" मान्य नहीं होगा

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! अब ट्रेन में "वेटिंग टिकिट" मान्य नहीं होगा . . ! यदि आप वेटिंग टिकट लेकर ट्रेन में सफर कर रहे हैं तो आपको किसी भी स्टेशन पर उतारा जा सकता है। इतना ही नहीं आप से जुर्माना भी वसूला जा सकता है। रेल मंत्रालय के इस आदेश को तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया गया है। पुराने नियमके मुताबिक रेलवे रिजर्वेशन काउंटर से टिकट लेने वाले यात्री वेटिंग टिकट पर सफर कर सकते थे, लेकिन अब इस नियम में बदलाव किया गया है। अब किसी भी तरह की वेटिंग टिकट को ट्रेन में मान्यता नहीं मिलेगी। गौरतलब है कि इससे पहले इस तरह का नियम केवल ई-टिकट के वेटिंग टिकट पर ही लागू था। मंडल अफसरों ने बताया कि यह आदेश यात्रियों की शिकायत और सुझाव पर जारी किया गया है। यात्री लगातार शिकायत कर रहे थे कि सीट कंफर्म होने के बावजूद सफर में कई तरह की दिक्कतें आती हैं। सबसे ज्यादा परेशानी वेटिंग टिकट के यात्रियों से होती है, वे सीट पर कब्जा कर लेते हैं और टीटीई के कहने पर भी खाली नहीं करते हैं। मारपीट की नौबत आ जाती है।

दो किलोग्राम वजन घटाने पर दो ग्राम सोना

दुबई, 22 जुलाई  । दुबई में मोटापे से ग्रस्त नागरिको की बढती सख्या को देख नगर निगम ने  ने अपने नागरिकों को स्वस्थ जीवनशैली अपनाके लिए  प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से एक नया और अनोखा अभियान शुरू किया गया है। इस तरह का अभियान न कही देखा  और ना ही सुना होगा  |   इस अभियान के तहत दुबई के नागरिक दो किलोग्राम वजन घटाने पर दो ग्राम सोना घर ले जा सकेगा | पि छले शुक्रवार  को ही इस अभियान की शुरूआत की है। दुबई के नागरिकों को एक महीने में कम से कम दो किलोग्राम वजन घटाने पर दो ग्राम सोना दिया जायेगा। इस अभियान के तहत सोना पाने के लिये कम से कम दो किलोग्राम वजन घटना होगा लेकिन अधिकतर वजन घटाने पर कोई प्रतिबंध नहीं है। अभियान में शामिल लोगों का अंतिम वजन 16 अगस्त को किया जायेगा और 19 जुलाई से तब तक उनका जितना वजन घटा होगा उसके हिसाब से सोना दिया जायेगा। शीर्ष तीन विजेताओं को चार हजार डालर से भी अधिक कीमत की गिन्नी अतिरिक्त दी जायेगी।

कर्म के फल को प्रभु को अर्पण कर दें

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एक बच्चा अपनी मां के साथ एक दुकान में गया, दुकान में तरह-तरह की टॉफियां भिन्न-भिन्न जारों में सजी हुई थीं। बच्चा टॉफियों को देखकर लालायित हो उठा, बच्चे की भोली आंखों पर दुकानदार मोहित हो गया। वह बच्चे से बोला, तू कोई भी टॉफी ले ले। दुकानदार की बात सुनकर बच्चे ने दुकानदार से कहा, मुझे नहीं चाहिए - दुकानदार ने बच्चे को हैरानी से देखा और कहा, तू कोई भी टॉफी ले ले, मैं पैसे नहीं लूंगा। बच्चे की मां ने भी उससे कहा, बेटे, तू कोई भी टॉफी ले ले, बच्चे ने फिर मना कर दिया। मां और दुकानदार हैरान हो गए। तभी दुकानदार ने स्वयं जार में हाथ डाला और बच्चे की तरफ मुट्ठी बढ़ाई। बच्चे ने झट से अपने स्कूल के बस्ते में टॉफियां डलवा लीं। दुकान से बाहर आने पर मां ने बच्चे से कहा, जब तुझे टॉफियां लेने को कहा गया, तो मना कर दिया और जब दुकानदार ने टॉफियां दीं तो इतनी सारी ले लीं। बच्चे ने मां से कहा, मां, मेरी मुट्ठी बहुत ही छोटी है, परंतु दुकानदार की मुट्ठी बहुत बड़ी है - मैं लेता तो कम मिलतीं। यही हाल हमारा है, हमारी मुट्ठी बहुत छोटी है और प्रभु की बहुत बड़ी। इसी तरह हमा री सोच बहुत छोटी है और प्रभु की बहुत बड...

श्री कृष्ण ने दिया सुदामा को माया का अनुभव ....

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सुदामा ने एक बार श्रीकृष्ण ने पूछा, "कान्हा, मैं आपकी माया के दर्शन करना चाहता हूं... कैसी होती है?" श्रीकृष्ण ने टालना चाहा, लेकिन सुदामा की जिद पर श्रीकृष्ण ने कहा, "अच्छा, कभी वक्त आएगा तो बताऊंगा।" और फिर एक दिन कहने लगे... सुदामा, आओ, गोमती में स्नान करने चलें। दोनों गोमती के तट पर गए। वस्त्र उतारे। दोनों नदी में उतरे... श्रीकृष्ण स्नान करके तट पर लौट आए। पीतांबर पहनने लगे... सुदामा ने देखा, कृष्ण तो तट पर चले गये है, मैं एक डुबकी और लगा लेता हूं... और जैसे ही सुदामा ने डुबकी लगाई... भगवान ने उन्हें अपनी माया का दर्शन कर दिया। सुदामा को लगा, गोमती में बाढ़ आ गई है, वह बहे जा रहे हैं, सुदामा जैसे-तैसे तक घाट के किनारे रुके। घाट पर चढ़े। घूमने लगे। घूमते-घूमते गांव के पास आए। वहां एक हथिनी ने उनके गले में फूल माला पहनाई। सुदामा हैरान हुए। लोग इकट्ठे हो गए। लोगों ने कहा, "हमारे देश के राजा की मृत्यु हो गई है। हमारा नियम है, राजा की मृत्यु के बाद हथिनी, जिस भी व्यक्ति के गले में माला पहना दे, वही हमारा राजा होता है| हथिनी ने आपके गले में माला पहनाई है, इसलिए अ...

फालतू पड़ी वस्तुओ से तैयार करे सीलबंद डब्बा

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  फालतू पड़ी वस्तुओ से तैयार करे सीलबंद डब्बा -- बारिश के दिनों में अक्सर दाले अनाज विभिन्न इसी ही  प्रकार की वस्तुये सील जाती है या उनमे कीड़े पड़ जाते है ,कई बार घर में सीलबंद डब्बे कम पड़ जाते  है |बाजार में खरीदने जाओ तो काफी महंगे होते है | इसके लिए हम यहाँ पर एक ऐसा उपाय बता रहे है जिसका प्रयोग आप घर पर ही पड़ी हुई बस्तुओ से कर सकते है और वो भी एक पैसा खर्च किये बिना |   इसके लिए चाहिए - कुछ प्लास्टिक बैग या पोलीथिन कुछ बेकार पड़ी प्लास्टिक की बोतले  और काटने के लिए एक धार दार चाकू या कैची  बोतल लीजिए उसका उपरी हिस्सा काटिए , प्लास्टिक बैग(ध्यान रखे की उसमे किसी प्रकार का छेद न हो ) में जो भी रखना हो उसे रख कर , चित्र के अनुसार बोतल के कटे उपरी हिस्से को प्लास्टिक बैग पर रखिये , फिर प्लास्टिक बैग का उपरी हिस्सा बोतल के कटे हुए उपरी मुह से  हिस्से से अंदर से  बाहर निकालिए और उसपर बोतल का वही ढक्कन लगा दीजिए जो पहले उसमे लगा  था  और इस प्रकार आपका एक सील बंद कंटेनर मुफ्त में तैयार हो जायेगा | और इसका प्रयोग फ्रिज में सब्जी वगैहरा रखन...

आँखों के काले घेरे (डार्क सर्कल ) को हटाने के उपाय ...

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खूबसूरती से संबंधित ऐसी असंख्य समस्याएं हैं, जिनसे हम और आप छुटकारा पाना चाहते हैं। डार्क सर्कल भी उन्हीं समस्याओं में से एक है। ये  दिक्कत कई वजहों जैसे शरीर में पोषक तत्वों की कमी होना, नींद न आना, मानसिक तनाव या फिर बहुत ज्यादा देर तक कंप्यूटर सिस्टम पर काम करने के कारण भी हो सकती है। इन डार्क सर्कल की वजह से व्यक्ति थका हुआ और उम्रदराज भी नजर आता है, इसलिए यह जरूरी है कि आप इनसे छुटकारा पाने की तरकीब जान लें। तो क्या हैं इस समस्या के 5 उपाय, आइए जानें। 1 घर पर इन डार्क सर्कल की देख-रेख करने के लिए आप खीरे या फिर आलू का इस्तेमाल कर सकती हैं। इसके लिए खीरे या आलू को क्रश करके आंखो के ऊपर रखें। कुछ देर तक आंखें बंद रखने के बाद डार्क एरिया पर इसे हल्के-हल्के से घुमाएं। इससे आंखों के आसपास का थुलथुलापन कम होगा साथ ही कालापन भी घटेगा। डार्क सर्कल्स पर प्रयोग किए गए ठंडे टी-बैग्स का इस्तेमाल भी किया जा सकता है। टी-बैग्स में मौजूद तत्व टैनिन आंखों के आसपास की सूजन और छाई डार्कनेस को कम करता है। 2 यदि काले घेरे बहुत ज्यादा हैं और उनसे निजात पाना चाहती हैं तो किसी अच्छे कॉस्मे...

आजकल लोग मुझे भगवान मानने लगे हैं!

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संता काफी दिनों के बाद पार्क में घूमने गया। लौटकर उसने अपनी पत्नी को बताया- "जानती हो, आजकल लोग मुझे भगवान मानने लगे हैं!" पत्नी- ये तुमने कैसे जाना? . . . . . . . . . . . संता- आज जब मैं पार्क में घूमने गया तो लोग मुझे देखकर बोले -हे भगवान ! तुम फिर आ गए!  ****************************************************

गूगल का पहला चैक

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ऑनलाइन पैसे कमाने की बहुत सी तरकीबे आजमाने के बाद मैं ये post लिख रहा हूँ . शुरूआती दिनों में इन्टरनेट कि दुनिया कि ज्यादा जानकारी नहीं थी ,फिर भी दिन भर इन्टरनेट से पैसा कमाने के बारे में सोचता रहता था .बहुत से तरीके आजमाए ,एक बार एक कम्पनी को 2500 रूपये भी इस चक्कर में भेज दिए .उस कम्पनी ने अपने विज्ञापन में लिखा था कि हम आपको एक वेबसाइट देंगे और ऑनलाइन हेल्प भी करेंगे . उन्होंने मुझे एक सीडी भेज दी जिसमे सिर्फ इतना बताया हुवा था कि एक गूगल पेज बनाइये और adsense के लिए अप्लाई कर दीजिये आपको विज्ञापन पर क्लिक के पैसे मिलेंगे .बात समझ नहीं आयी तो उस कम्पनी में फ़ोन किया वंहा से जवाब मिला कि हमे जो पता था आपको सीडी में भेज दिया . जाहिर सी बात थी कि ठग लिया गया था .मगर मैंने हार नहीं मानी जैसे तैसे करके गूगल adsense का अकाउंट approve करवा ही लिया .फिर उस पर खुद ही इतने क्लिक किये कि गूगल ने अकाउंट बैन कर दिया .ये 2007 कि बात हैं  .उसके बाद मेने ये विचार छोड़ दिया और वापस अपने काम यानि कि मोबाइल रिपेयरिंग में लग गया . पिछले साल खुद कि वेबसाइट लांच करने का विचार आया .उसके लिए कुछ लोगो से...

बारिश के मौसम में रोजाना तुलसी के 5 पत्ते खाने के अनोखे फायदे

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बारिश के मौसम में रोजाना तुलसी के 5 पत्ते खाने के अनोखे फायदे -- ______________________________ ______________________ तुलसी एक ऐसा पौधा है जो कई तरह के अद्भुत औषधिय गुणों से भरपूर है। हिन्दू धर्म में तुलसी को इसके  अनगिनत औषधीय गुणों के कारण पूज्य माना गया है। यही कारण है कि हिन्दू धर्म में तुलसी से जुड़ी  अनेक धार्मिक मान्यताएं है और हिन्दू धर्म में तुलसी को घर में लगाना अनिवार्य माना गया है।आज हम  बात कर रहे हैं तुलसी के कुछ ऐसे ही गुणों के बारे में.... - मासिक धर्म के दौरान कमर में दर्द हो रहा हो तो एक चम्मच तुलसी का रस लें।इसके अलावा तुलसी के  पत्ते चबाने से भी मासिक धर्म नियमित रहता है। -बारिश के मौसम में रोजाना तुलसी के पांच पत्ते खाने से मौसमी बुखार व जुकाम जैसी समस्याएं दूर  रहती है।तुलसी की कुछ पत्तियों को चबाने से मुंह का संक्रमण दूर हो जाता है।मुंह के छाले दूर होते हैं व  दांत भी स्वस्थ रहते हैं। - सुबह पानी के साथ तुलसी की पत्तियां निगलने से कई प्रकार की बीमारियां व संक्रामक रोग नहीं होते हैं। दाद, खुजली और त्वचा की अन्य समस्याओं में रोजाना तुल...

"एक नया व्यंग्य लिखा है, सुनोगे?"

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हमनें एक बेरोज़गार मित्र को पकड़ा और कहा, "एक नया व्यंग्य लिखा है, सुनोगे?" तो बोला, "पहले खाना खिलाओ।" खाना खिलाया तो बोला, "पान खिलाओ।" पान खिलाया तो बोला, "खाना बहुत बढ़िया था उसका मज़ा मिट्टी में मत मिलाओ। अपन ख़ुद ही देश की छाती पर जीते-जागते व्यंग्य हैं हमें व्यंग्य मत सुनाओ जो जन-सेवा के नाम पर ऐश करता रहा और हमें बेरोज़गारी का रोजगार देकर कुर्सी को कैश करता रहा। व्यंग्य उस अफ़सर को सुनाओ जो हिन्दी के प्रचार की डफली बजाता रहा और अपनी औलाद को अंग्रेज़ी का पाठ पढ़ाता रहा। व्यंग्य उस सिपाही को सुनाओ जो भ्रष्टाचार को अपना अधिकार मानता रहा और झूठी गवाही को पुलिस का संस्कार मानता रहा। व्यंग्य उस डॉक्टर को सुनाओ जो पचास रूपये फ़ीस के लेकर मलेरिया को टी०बी० बतलाता रहा और नर्स को अपनी बीबी बतलाता रहा। व्यंग्य उस फ़िल्मकार को सुनाओ जो फ़िल्म में से इल्म घटाता रहा और संस्कृति के कपड़े उतार कर सेंसर को पटाता रहा। व्यंग्य उस सास को सुनाओ जिसने बेटी जैसी बहू को ज्वाला का उपहार दिया और व्यंग्य उस वासना के कीड़े को सुनाओ जिसने अपनी भ...

सभी पुरुष अच्छे होते तो यह औरत ऐसी न होती -गौतम बुद्ध

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संन्यास लेने के बादगौतम बुद्ध ने अनेक क्षेत्रों की यात्रा की। एक बार वह एक गांव में गए। वहां एक स्त्री उनके पास आई और बोली- आप तो कोई राजकुमार लगते हैं। क्या मैं जान सकती हूं कि इस युवावस्था मेंगेरुआ वस्त्र पहनने का क्या कारण है? बुद्ध ने विनम्रतापूर्वक उत्तर दिया कि तीन प्रश्नों केहल ढूंढने के लिए उन्होंने संन्यास लिया। यह शरीर जो युवा व आकर्षक है, पर जल्दी ही यह वृद्ध होगा, फिर बीमार व अंत में मृत्यु के मुंह में चला जाएगा। मुझे वृद्धावस्था, बीमारी व मृत्यु के कारणका ज्ञान प्राप्त करना है। उनसे प्रभावित होकर उस स्त्री ने उन्हें भोजन के लिए आमंत्रित किया। शीघ्र ही यह बात पूरे गांव में फैल गई। गांववासी बुद्ध के पास आए व आग्रह किया कि वे इस स्त्री के घर भोजन करने न जाएं क्योंकि वह चरित्रहीन है। बुद्ध ने गांव के मुखियासे पूछा- क्या आप भी मानते हैं कि वह स्त्री चरित्रहीन है? मुखिया ने कहा कि मैं शपथ लेकर कहता हूं कि वह बुरे चरित्र वाली है। आप उसकेघर न जाएं। बुद्ध ने मुखिया का दायां हाथ पकड़ा और उसे ताली बजानेको कहा। मुखिया ने कहा- मैं एक हाथ से ताली नहीं बजा सकता क्योंकि मेरा दूसरा आपने पक...

'मुंह' बना लिया।

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पति पत्नी से, "मेरे संबंधी घर आ रहे हैं, कुछ बना लो"। पत्नी ने 'मुंह' बना लिया। *******************************************************************

बचपन के दिनों की ये कविता

हम सब चाँदको अपने अपने ढंग से देखते है .. दिनकर जी भी आप भी और मै भी । बचपन के दिनों की ये कविता मुझे आज भी पसंद है | ह ठ कर बैठा चांद एक दिन, माता से यह बोला सिलवा दो माँ मुझे ऊन का मोटा एक झिंगोला सन-सन चलती हवा रात भर जाड़े से मरता हूँ ठिठुर-ठिठुर कर किसी तरह यात्रा पूरी करता हूँ आसमान का सफर और यह मौसम है जाड़े का न हो अगर तो ला दो कुर्ता ही को भाड़े का बच्चे की सुन बात, कहा माता ने 'अरे सलोने` कुशल करे भगवान, लगे मत तुझको जादू टोने जाड़े की तो बात ठीक है, पर मैं तो डरती हूँ एक नाप में कभी नहीं तुझको देखा करती हूँ कभी एक अंगुल भर चौड़ा, कभी एक फुट मोटा बड़ा किसी दिन हो जाता है, और किसी दिन छोटा घटता-बढ़ता रोज, किसी दिन ऐसा भी करता है नहीं किसी की भी आँखों को दिखलाई पड़ता है अब तू ही ये बता, नाप तेरी किस रोज लिवायें सी दे एक झिंगोला जो हर रोज बदन में आये! # चांद एक दिन / रामधारी सिंह 'दिनकर'

पति के साथ प्यार से कैसे रहें'....

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पति के साथ प्यार से कैसे रहें' उपरोक्त विषय पर औरतों का एक सेमीनार हो रहा था। उनसे एक सवाल किया गया कि वे महिलाये जो आप अपने पति से प्यार करती हैं हाथ उठाये ..| सभी औरतों ने अपने हाथ उठा दिए। अगला सवाल था, "आपने अपने पति को I LOVE YOU कब बोला था?" किसी ने आज सुबह, किसी ने पिछले कल, किसी ने कुछ दिन पहले बताया और कुछ को तो याद भी नहीं था। अब उनसे अपने-अपने मोबाइल से अपने पति को 'I LOVE YOU,SWEET  HEART' मैसेज भेजने को कहा गया और आपस में एक दूसरे को उनके पति के जवाब को पढ़ने के लिए कहा गया। पतियों के जवाब में मैसेज कुछ ऐसे थे : 1. मेरे बच्चों की प्यारी माँ, तू पागल हो गई है क्या? 2. अब क्या हो गया ? कार तो नहीं ठोक दी? 3. क्या मतलब? 4. ?????? 5. क्या कर दिया है तुमने? इस बार नहीं छोडूंगा तुझे। 6. क्या खरीदने जा रही हो, डार्लिंग? कितने पैसे चाहिए? 7. सपना तो नहीं देख रहा हूँ मैं? 8. अरे मैडम! यह मैसेज गलती से तो मुझे नहीं भेज दया? 9. सुबह ही तुम कह रही थी कि कहीं जाना है, ज्यादा तो नहीं पी ली है तुमने ? और अंत में एक साहब का मैसेज तो यह भी था 10. कौन?.......   *******...

याद आते है वो स्कूल के दिन..

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1  जुलाई पर विशेष   याद आते है वो स्कूल के दिन , ना जाते थे स्कुल दोस्तों के बिन, कैसी  थी वो दोस्ती कैसा था वो प्यार, एक दिन की जुदाई से डरता थे जब  आता था शनिवार, चलते चलते पत्थरों पर मारते थे ठोकर, कभी  हंसकर चलते थे तो कभी चलते थे रोकर ,।।     #अज्ञात