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Showing posts from June, 2014

वृक्षा रोपण कहानी

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कुंतालपुर का राजा बड़ा ही न्याय प्रिय था| वह अपनी प्रजा के दुख-दर्द में बराबर काम आता था| प्रजा भी उसका बहुत आदर करती थी| एक दिन राजा गुप्त वेष में अपने राज्य में घूमने निकला तब रास्ते में देखता है कि एक वृद्ध एक छोटा सा पौधा रोप रहा है| राजा कौतूहलवश उसके पास गया और बोला, ‘‘यह आप किस चीज का पौधा लगा रहे हैं ?’’ वृद्ध ने धीमें स्वर में कहा, ‘‘आम का|’’ राजा ने हिसाब लगाया कि उसके बड़े होने और उस पर फल आने में कितना समय लगेगा| हिसाब लगाकर उसने अचरज से वृद्ध की ओर देखा और कहा, ‘‘सुनो दादा इस पौधै के बड़े होने और उस पर फल आने मे कई साल लग जाएंगे, तब तक तुम क्या जीवित रहोगे?’’ वृद्ध ने राजा की ओर देखा| राजा की आँखों में मायूसी थी| उसे लग रहा था कि वह वृद्ध ऐसा काम कर रहा है, जिसका फल उसे नहीं मिलेगा| यह देखकर वृद्ध ने कहा, ‘‘आप सोच रहें होंगे कि मैं पागलपन का काम कर रहा हूँ| जिस चीज से आदमी को फायदा नहीं पहुँचता, उस पर मेहनत करना बेकार है, लेकिन यह भी तो सोचिए कि इस बूढ़े ने दूसरों की मेहनत का कितना फायदा उठाया है ? दूसरों के लगाए पेड़ों के कितने फल अपनी जिंदगी में खाए हैं ? क्या उस कर्ज क...

हम सब ईश्वर के अंश है ।

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एक विमान में एक गोरे अंग्रेज ने एकोनॉमी क्लास में सीट बुक कराई! जब वो अपनी सीट के पास पहूचा तो  देखा वहाँ उसकी बगल वाली सीट पर एक काली अफ्रीकन महिला बेठी थी! उसे गुस्सा आ गया! उसने विमान  परिचारिका को बुलाया और गुस्से से कहा "में इस काली भद्दी और बुरी महिला के साथ नहीं बेठ कर यात्रा नहीं  कर सकता मेरी सीट बदल दी जाये "! परिचारिका ने विनम्रता से कहा," सर आज विमान में बहुत भीड़ है कोई  सीट खाली नहीं है फिर भी में पॉयलेट से पूछ कर दूसरी सीट का इंतजाम करती हूँ! तब तक आप अपनी सीट  पर बेठिये! परिचारिका वहाँ से चली गई! थोड़ी देर बाद वह पुनः वहाँ आई और गोर अंग्रेज से बोली "सर मेने  पॉयलेट से बात की उन्होंने बताया कि आज एकोनॉमी क्लास में कोई सीट खाली नहीं है हां एक सीट फर्स्ट  क्लास में खाली है हमारे सम्मानीय ग्राहक को बुरे लोगों के साथ सफ़र करने में कोई तकलीफ ना हो इस लिए  उन्होंने वहाँ बैठने कि अनुमति दे दी है! यह सुन कर अंग्रेज के चेहरे पर मुस्कान आ गई वो फर्स्ट क्लास में  जाने के लिए ज्योही उठाने लगा. परिचारिका ने उस काली अफ्रीकन महिला से विनम्रता...

जौ (BARLEY) -

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भारतवर्ष में अति प्राचीन काल से जौ का प्रयोग किया जाता रहा है | हमारे ऋषि मुनियों का प्रमुख आहार जौ ही था | प्राचीन वैदिक काल तथा आयुर्वेदीय निघण्टुओं एवं संहिताओं में इसका वर्णन प्राप्त होता है | भावप्रकाश निघण्टुमें तीन प्रकार के भेदों का वर्णन प्राप्त होता है |  स्वाद एवं आकृति के दृष्टिकोण से जौ, गेहूँ से भिन्न दिखाई पड़ते हैं किन्तु यह गेहूँ की जाति का ही अन्न है | अगर गुण की दृष्टी से देखा जाए तो जौ गेहूं की अपेक्षा हल्का होता है | जौ को भूनकर, पीसकर उसका सत्तू बनता है | जौ में लैक्टिक एसिड, सैलिसिलिक एसिड, फॉस्फोरिक एसिड, पोटैशियम और कैल्शियम होता है |  जौ के विभिन्न औषधीय उपयोग -  1 - एक लीटर पानी में एक कप जौ को उबालकर इस पानी को ठंडा करके छानकर पीने से शरीर की की सूजन ख़त्म हो जाती है |  2 - जौ का सत्तू खाने या पीने से अधिक गर्मी में शरीर को ठंडक मिलती है |  3 - जौ को बारीक पीस कर तिल के तेल में मिलाकर शरीर के जले हुए भाग पर लगाने से लाभ होता है |  4 - जौ का आटा 50 ग्राम और चने का आटा 10 ग्राम मिलाकर रोटी बनाएं | इस आटे की रोटी से मधुहेह नियंत्रित...

अशोक वृक्ष का बहुत महत्व है

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अशोक का शब्दिक अर्थ होता है- "किसी भी प्रकार का शोक न होना"। यह पवित्र वृक्ष जिस स्थान पर होता है, वहाँ पर किसी प्रकार का शोक व अशान्ति नहीं रहती। मांगलिक एवं धार्मिक कार्यों में अशोक के पत्तों का प्रयोग किया जाता है। इस वृक्ष पर प्राकृतिक शक्तियों का विशेष प्रभाव माना गया है, जिस कारण यह वृक्ष जिस जगह पर भी उगता है, वहाँ पर सभी कार्य पूर्णतः निर्बाध रूप से सम्पन्न होते चले जाते हैं। इसी कारण अशोक का वृक्ष भारतीय समाज में काफ़ी प्रासंगिक है। भगवान श्रीराम ने भी स्वयं ही इसे शोक दूर करने वाले पेड़ की उपमा दी थी। कामदेव के पंच पुष्प बाणों में एक अशोक भी है।  1-चमत्कारी वृक्ष है अशोक। अशोक के पत्ते घर के दरवाजे पर वंदनवार के रूप में लगाए जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि जिस घर के मुख्य द्वार पर अशोक के पत्तों की वंदनवार लगी होती है, वहां किसी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव नहीं होता है।  2 -किसी भी शुभ मुर्हूत में अशोक के पेड़ की जड़ को पूर्व निमन्त्रण देकर निकाल लायें। उस समय आप मौन रहें। घर में लाकर इसे गंगा जल से शुद्ध करके तिजोरी या धन रखने के स्थान रखें। इस प्रकार का उपाय...

मासिक धर्म (Periods) से सबन्धित समस्याएँ

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 माताओ-बहनो को मासिक धर्म (Periods) से सबन्धित समस्याएँ होना साधारण बात है अक्सर माहवारी की अनियमिता हो जाती है ,अर्थात कई बार रक्तस्त्राव बहुत अधिक हो जाता है और कई बार क्या होता है बिलकुल ही नहीं होता ! और कभी कभी ऐसा भी होता है की ये 2-3 दिन होना चाहिए लेकिन 1 ही दिन होता है ,और कई बार 15 दिन ही दुबारा आ जाता है ! और कई बार 2 महीने तक नहीं आता ! तो ये मित्रो मासिक धर्म चक्र की अनियमिता की जितनी सभी समस्याएँ है इसकी हमारे आयुर्वेद मे बहुत ही अच्छी और लाभकारी ओषधि है वो है अशोक के पेड़ के पत्तों की चटनी ! हाँ एक बात याद रखे आशोक का पेड़ दो तरह का है एक तो सीधा है बिलकुल लंबा ज़्यादातर लोग उसे ही अशोक समझते है जबकि वो नहीं है एक और होता है पूरा गोल होता है और फैला हुआ होता है वही असली अशोक का पेड़ है जिसकी छाया मे माता सीता ठहरी थी ! फोटो मे देखिये !( अशोक वृक्ष के बारे मे जानने के लिए यहाँ किलिक करे   http://spandn.blogspot.in/2014/06/blog-post_23.html  ) तो इस असली अशोक के 5-6 पत्ते तोड़िए उसे पीस कर चटनी बनाओ अब इसे एक से डेढ़ गिलास पानी मे कुछ देर तक उबाले ! इतना उबाले की प...

जो भी करो आदर्श करो।

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एक व्यक्ति कबीर के पास गया और बोला- मेरी शिक्षा तो समाप्त हो गई। अब मेरे मन में दो बातें आती हैं, एक यह कि विवाह करके गृहस्थ जीवन यापन करूँ या संन्यास धारण करूँ? इन दोनों में से मेरे लिए क्या अच्छा रहेगा यह बताइए? कबीर ने कहा -दोनों ही बातें अच्छी है जो भी करना हो वह उच्चकोटि का करना चाहिए। उस व्यक्ति ने पूछा उच्चकोटि का करना चाहिए।” उस व्यक्ति ने पूछा-उच्चकोटि का कैसे है? कबीर ने कहा- किसी दिन प्रत्यक्ष देखकर बतायेंगे वह व्यक्ति रोज उत्तर प्रतीक्षा में कबीर के पास आने लगा। एक दिन कबीर दिन के बारह बजे सूत बुन रहे थे। खुली जगह में प्रकाश काफी था फिर भी कबीर ने अपनी धर्म पत्नी को दीपक लाने का आदेश दिया। वह तुरन्त जलाकर लाई और उनके पास रख गई। दीपक जलता रहा वे सूत बुनते रहे। सायंकाल को उस व्यक्ति को लेकर कबीर एक पहाड़ी पर गए। जहाँ काफी ऊँचाई पर एक बहुत वृद्ध साधु कुटी बनाकर रहते थे। कबीर ने साधु को आवाज दी। महाराज आपसे कुछ जरूरी काम है कृपया नीचे आइए। बूढ़ा बीमार साधु मुश्किल से इतनी ऊँचाई से उतर कर नीचे आया। कबीर ने पूछा आपकी आयु कितनी है यह जानने के लिए नीचे बुलाया है। साधु ने कहा अस्सी...

विकट से विकट परिस्थिति में भी अपनी सोच सकारात्मक बनाये

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किसी गाँव में दो साधू रहते थे. वे दिन भर भीख मांगते और मंदिर में पूजा करते थे। एक दिन गाँव में आंधी आ गयी और बहुत जोरों की बारिश होने लगी; दोनों साधू गाँव की सीमा से लगी एक झोपडी में निवास करते थे, शाम को जब दोनों वापस पहुंचे तो देखा कि आंधी-तूफ़ान के कारण उनकी आधी झोपडी टूट गई है। यह देखकर पहला साधू क्रोधित हो उठता है और बुदबुदाने लगता है ,” भगवान तू मेरे साथ हमेशा ही गलत करता है… में दिन भर तेरा नाम लेता हूँ , मंदिर में तेरी पूजा करता हूँ फिर भी तूने मेरी झोपडी तोड़ दी… गाँ...व में चोर – लुटेरे झूठे लोगो के तो मकानों को कुछ नहीं हुआ , बिचारे हम साधुओं की झोपडी ही तूने तोड़ दी ये तेरा ही काम है …हम तेरा नाम जपते हैं पर तू हमसे प्रेम नहीं करता….” तभी दूसरा साधू आता है और झोपडी को देखकर खुश हो जाता है नाचने लगता है और कहता है भगवान् आज विश्वास हो गया तू हमसे कितना प्रेम करता है ये हमारी आधी झोपडी तूने ही बचाई होगी वर्ना इतनी तेज आंधी – तूफ़ान में तो पूरी झोपडी ही उड़ जाती ये तेरी ही कृपा है कि अभी भी हमारे पास सर ढंकने को जगह है…. निश्चित ही ये मेरी पूजा का फल है , कल से मैं तेरी और पूज...

आज ही क्यों नहीं ?

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एक बार की बात है कि एक शिष्य अपने गुरु का बहुत आदर-सम्मान किया करता था |गुरु भी अपने इस शिष्य से बहुत स्नेह करते थे लेकिन वह शिष्य अपने अध्ययन के प्रति आलसी और स्वभाव से दीर्घसूत्री था |सदा स्वाध्याय से दूर भागने की कोशिश करता तथा आज के काम को कल के लिए छोड़ दिया करता था |  अब गुरूजी कुछ चिंतित रहने लगे कि कहीं उनका यह शिष्य जीवन-संग्राम में पराजित न हो जाये|आलस्य में व्यक्ति को अकर्मण्य बनाने की पूरी सामर्थ्य होती है |ऐसा व्यक्ति बिना परिश्रम के ही फलोपभोग ...की कामना करता है| वह शीघ्र निर्णय नहीं ले सकता और यदि ले भी लेता है,तो उसे कार्यान्वित नहीं कर पाता| यहाँ तक कि अपने पर्यावरण के प्रति भी सजग नहीं रहता है और न भाग्य द्वारा प्रदत्त सुअवसरों का लाभ उठाने की कला में ही प्रवीण हो पता है |  उन्होंने मन ही मन अपने शिष्य के कल्याण के लिए एक योजना बना ली |एक दिन एक काले पत्थर का एक टुकड़ा उसके हाथ में देते हुए गुरु जी ने कहा –‘मैं तुम्हें यह जादुई पत्थर का टुकड़ा, दो दिन के लिए दे कर, कहीं दूसरे गाँव जा रहा हूँ| जिस भी लोहे की वस्तु को तुम इससे स्पर्श करोगे, वह स्वर्ण में परिवर...

थालीपीठ का मॉडर्न वर्जन है पैनकेक

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  आपने पैनकेक का नाम तो सुना ही होगा, बस यह समझ लीजिए कि पारम्परिक थाली पीठ   का मॉडर्न वर्जन है पैनकेक. लेकिन आज हम आपको पैनकेक नहीं थालीपीठ की रेसिपी बताने जा रहे हैं. ये उन बच्चों के लिए बहुत ही हेल्दी ब्रेकफास्ट है जो लंच के समय खाने में नखरे दिखाते हैं और सिर्फ फोर्मालिटी के लिए खाना खाते हैं. आप ऐसे बच्चों को थाली पीठ के रुप में फाइबर्स और प्रोटीन से भरपूर ब्रंच करवा दीजिए, फिर भले ही वो लंच के समय थोड़ा बहुत कुछ खाना चाहे तो खिला दीजिए. इससे उन्हें अपनी पसंद का ब्रेकफास्ट भी मिल जाएगा और लंच भी. सामग्री थाली पीठ का सबसे बड़ा फायदा यह है कि आप इसे सैंडविच की तरह अलग अलग स्वाद और सामग्री का बना सकते हैं. थाली पीठ बनाने के लिए बेस आप कॉमन रखें, जिसके लिए आप 1/2 कप सूजी, 1/ कप बेसन और 1 बड़ा उबला आलू लेकर 1 कप पानी मिलाकर थोडी देर के लिए रख दीजिए, ताकि सूजी और बेसन अच्छे से गल जाए. अब आप अपने या बच्चों के पसंद की सब्ज़ियों को बहुत थोड़ी थोड़ी मात्रा में किस के एक बोल में रख लें. जैसे 1 गाजर, 1 शकरकंद, एक ट...

सऊदी अरब में 26 लोगों की फांसी की सज़ा

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बुधवार, 18 जून 2014  सऊदी अरब के विभिन्न न्यायालय ने निराधार आरोप लगाते हुए 26 लोगों को मौत की सज़ा सुनाई है। प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार, सऊदी अरब में सरकार के अधीन न्यायालय ने 26 लोगों पर दंगा भड़काने और सरकार के विरुद्ध उकसाने जैसे निराधार आरोप लगा कर फांसी की सज़ा सुनायी है। सऊदी अरब में इस प्रकार के मामलों में पहले भी कई लोगों को मौत की सज़ा सुनाई जा चुकी है।  आरोपियों का कहना है कि उन्हें मुक़द्दमे में वकील करने की भी अनुमति नहीं मिली और इस देश का न्यायालय एकपक्षीय सुनवाई करते हुए इस प्रकार की सज़ाए सुनाता है। सऊदी अरब के प्रख्यात धर्मगुरू शैख़ बाक़िर निम्र पर विभिन्न आरोप लगाकर उन्हें फांसी सज़ा सुनाई गयी है। शैख़ बाक़िर निम्र को जिन निराधार आरोपों का सामना है वे इस प्रकार हैः सुरक्षा को भंग करने वाले भाषण देना, नमाज़े जुमा के भाषण में नरेश का अपमान करना, इस बात का प्रचार करना कि ईश्वर और उसके दूत का स्वामित्य, आले सऊद के स्वामित्व से बहुत भिन्न है, राजनैतिक बंदियों का बचाव, बहरैन सरकार के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप, इन्टरनेट पर सरकार विरोधी बातें लिखना, शहीदों के अधिकार...

भारत ने बढ़ाया ईरान से तेल का आयात

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 भारत ने ईरान से कच्चे तेल का आयात बढ़ा दिया है। सूचना है कि गत मई महीने में भारत ने अप्रैल महीने में भी 2 लाख 55 हज़ार बैरल तेल ईरान से ख़रीदा जबकि मई महीने में इस मात्रा में 13 दशमलव 5 प्रतिशत की वृद्धि भी दर्ज की गई है। ईरान मई में भारत को तेल सप्लाई करने वाले छठां सबसे बड़ा देश था। एशिया में भारत बड़े ऊर्जा आयातक देशों में गिना जाता है जबकि भारत की ऊर्जा आवश्यकता का बड़ा भाग ईरान से पूरा होता है। गत वर्ष अप्रैल से जुलाई के बीच बीमा समस्याओं के कारण ईरान से भारत के लिए तेल की सप्लाई में कमी आई थी। यह समस्याएं अमरीका की अगुवाई में पश्चिमी देशों की ओर से ईरान के तेल व बैंकिंग सेक्टरों पर लगाए गए प्रतिबंध का कारण उत्पन्न हुईं किंतु नवम्बर 2013 में ईरान और छह विश्व शक्तियों के बीच होने वाले जेनेवा परमाणु समझौते के बाद ईरान पर लगाए गए प्रतिबंधों में कमी हुई।

वो सच्चा रखवाला और साथी जो ह्रदय मे ही बसा हुआ है

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किसी जंगल मे एक गर्भवती हिरणी थी जिसका प्रसव होने को ही था . उसने एक तेज धार वाली नदी के किनारे घनी झाड़ियों और घास के पास एक जगह देखी जो उसे प्रसव हेतु सुरक्षित स्थान लगा. अचानक उसे प्रसव पीड़ा शुरू होने लगी, लगभग उसी समय आसमान मे काले काले बादल छा गए और घनघोर बिजली कड़कने लगी जिससे जंगल मे आग भड़क उठी . वो घबरा गयी उसने अपनी दायीं और देखा लेकिन ये क्या वहां एक बहेलिया उसकी और तीर का निशाना लगाये हुए था, उसकी बाईं और भी एक शेर उस पर घात लगाये हुए उसकी और बढ़ रहा था अब वो हिरणी क्या करे ?, वो तो प्रसव पीड़ा से गुजर रही है , अब क्या होगा?, क्या वो सुरक्षित रह सकेगी?, क्या वो अपने बच्चे को जन्म दे सकेगी ?, क्या वो नवजात सुरक्षित रहेगा?, या सब कुछ जंगल की आग मे जल जायेगा?, अगर इनसे बच भी गयी तो क्या वो बहेलिये के तीर से बच पायेगी ? या क्या वो उस खूंखार शेर के पंजों की मार से दर्दनाक मौत मारी जाएगी? जो उसकी और बढ़ रहा है, उसके एक और जंगल की आग, दूसरी और तेज धार वाली बहती नदी, और सामने उत्पन्न सभी संकट, अब वो क्या करे? लेकिन फिर उसने अपना ध्यान अपने नव आगंतुक को जन्म देने की औ...

भृंगराज (भांगरा)

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घने मुलायम काले केशों के लिए प्रसिद्ध भृंगराज के स्वयंजात शाक 1800 मीटर की ऊंचाई तक आर्द्रभूमि में जलाशयों के समीप बारह मास उगते हैं | सुश्रुत एवं चरक संहिता में कास एवं श्वास व्याधि में भृंगराज तेल का प्रयोग बताया गया है | इसके पत्तों को कृष्णाभ , हरितवर्णी रस निकलता है, जो शीघ्र ही काला पड़ जाता है | इसके पुष्प श्वेत वर्ण के होते हैं | इसके फल कृष्ण वर्ण के होते हैं | इसके बीज अनेक, छोटे तथा काले जीरे के समान होते हैं | इसका पुष्पकाल एवं फलकाल अगस्त से जनवरी तक होता है | भृंगराज (भांगरा) आज हम आपको भृंगराज के आयुर्वेदिक गुणों से अवगत कराएंगे -  1 - भांगरे का रस और बकरी का दूध समान मात्रा में लेकर उसको गुनगुना करके नाक में टपकाने से और भांगरा के रस में काली मिर्च का चूर्ण मिलाकर सिर पर लेप करने से आधासीसी के दर्द में लाभ होता है | 2 जिनके बाल टूटते हैं या दो मुंह के हो जाते हैं उन्हें सिर में भांगरा के पत्तों के रस की मालिश करनी चाहिए | इससे कुछ ही दिनों में अच्छे काले बाल निकलते हैं | 3 - भृंगराज के पत्तों को छाया में सुखाकर पीस लें | इसमें से 10 ग्राम चूर्ण लेकर उसमें शहद 3 ग्रा...

~*~ काँच की बरनी और दो कप चाय ~*~

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जीवन में जब सब कुछ एक साथ और जल्दी - जल्दी करने की इच्छा होती है , सब कुछ तेजी से पा लेने की इच्छा होती है , और हमें लगने लगता है कि दिन के चौबीस घंटे भी कम पड़ते हैं , उस समय ये बोध कथा , " काँच की बरनी और दो कप चाय " हमें याद आती  है । दर्शनशास्त्र के एक प्रोफ़ेसर कक्षा में आये और उन्होंने छात्रों से कहा कि वे आज जीवन का एक महत्वपूर्ण पाठ पढाने वाले हैं ... उन्होंने अपने साथ लाई एक काँच की बडी़ बरनी ( जार ) टेबल पर रखा और उसमें टेबल टेनिस की गेंदें डालने लगे और तब तक डालते रहे जब तक कि उसमें एक भी गेंद समाने की जगह नहीं बची ... उन्होंने छात्रों से पूछा - क्या बरनी पूरी भर गई ? हाँ ... आवाज आई ... फ़िर प्रोफ़ेसर साहब ने छोटे - छोटे कंकर उसमें भरने शुरु किये h धीरे - धीरे बरनी को हिलाया तो काफ़ी सारे कंकर उसमें जहाँ जगह खाली थी , समा गये , फ़िर से प्रोफ़ेसर साहब ने पूछा , क्या अब बरनी भर गई है , छात्रों ने एक बार फ़िर हाँ ... कहा अब प्रोफ़ेसर साहब ने रेत की थैली से हौले - हौले उस बरनी में रेत डालना शुरु किया , वह रेत भी उस जार में जहाँ संभव था बैठ गई , अब छात्र अपनी नादानी पर...

भारती देवी (तीन जुड़वां बच्चों की सबसे अधिक उम्र में मां बनने वाली महिला)

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भारती देवी भी हिसार, हरियाणा की ही हैं. राजो देवी की तरह भारती देवी भी सबसे अधिक उम्र में तीन जुड़वां बच्चों की मां बनने वाली दुनिया की पहली महिला हैं। डॉक्टरों के अनुसार भारती देवी 66 साल की हैं. 44 साल की शादी के बाद भी जब वह मां नहीं बन सकीं तो आईवीएफ के बारे में जानकारी मिलने पर इस ट्रीटमेंट के लिए तैयार हो गईं।  डॉक्टरों को इसके लिए तीन प्रयास करने पड़े. पहले दो प्रयासों में भारती के यूट्रस में 2-2 एंब्रियोज डाले गए थे. इनके फेल होने पर तीसरी बार तीन एंब्रियोज डाले गए जो सेट हो गए।  इस तरह भारती एक साथ तीन बच्चों (2 बेटे, एक बेटी) की मां बनने वाली सबसे अधिक उम्र की महिला बन गईं।