अशोक वृक्ष का बहुत महत्व है

अशोक का शब्दिक अर्थ होता है- "किसी भी प्रकार का शोक न होना"। यह पवित्र वृक्ष जिस स्थान पर होता है, वहाँ पर किसी प्रकार का शोक व अशान्ति नहीं रहती। मांगलिक एवं धार्मिक कार्यों में अशोक के पत्तों का प्रयोग किया जाता है। इस वृक्ष पर प्राकृतिक शक्तियों का विशेष प्रभाव माना गया है, जिस कारण यह वृक्ष जिस जगह पर भी उगता है, वहाँ पर सभी कार्य पूर्णतः निर्बाध रूप से सम्पन्न होते चले जाते हैं। इसी कारण अशोक का वृक्ष भारतीय समाज में काफ़ी प्रासंगिक है। भगवान श्रीराम ने भी स्वयं ही इसे शोक दूर करने वाले पेड़ की उपमा दी थी। कामदेव के पंच पुष्प बाणों में एक अशोक भी है। 

1-चमत्कारी वृक्ष है अशोक। अशोक के पत्ते घर के दरवाजे पर वंदनवार के रूप में लगाए जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि जिस घर के मुख्य द्वार पर अशोक के पत्तों की वंदनवार लगी होती है, वहां किसी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव नहीं होता है। 

2 -किसी भी शुभ मुर्हूत में अशोक के पेड़ की जड़ को पूर्व निमन्त्रण देकर निकाल लायें। उस समय आप मौन रहें। घर में लाकर इसे गंगा जल से शुद्ध करके तिजोरी या धन रखने के स्थान रखें। इस प्रकार का उपाय करने से उस घर में धन की स्थिति पहले की अपेक्षा काफी सुदृढ़ हो जाती है।
3 - अशोक वृक्ष के फलों को मंगलवार के दिन हनुमान जी को अर्पित करने से मंगल ग्रह की पीड़ा से मुक्ति मिल जाती है।
अशोक वृक्ष की जड़ तथा पत्ते प्राप्त कर,उस कन्या के स्नान करने वाले जल में डाल दें। तत्पश्चात उस जल में कान्या स्नान करें। ध्यान रखें कि पत्ते व जड़ जल से बाहर न गिरे।
4-यदि किसी घर में पति-पत्नी के बीच तनाव रहता हो, लड़ाई-झगड़े अधिक होते हो तो यह उपाय करें। उपाय के अनुसार अशोक के 7 ताजा पत्ते घर में देवी-देवताओं की प्रतिमा के सामने हमेशा रखे रखना चाहिए। जब भी पत्ते मुरझा जाए तो दूसरे सात पत्ते रख दें। जो पत्ते सुख जाते हैं या मुरझा जाते हैं, उन्हें पीपल के वृक्ष की जड़ों में डाल देना चाहिए। इस उपाय से पति-पत्नी के बीच प्रेम बढ़ता है। 

प्रकार
अशोक का वृक्ष दो प्रकार का होता है- एक तो असली अशोक वृक्ष और दूसरा उससे मिलता-जुलता नकली अशोक वृक्ष।

असली अशोक वृक्ष
असली अशोक के वृक्ष को लैटिन भाषा में 'जोनेसिया अशोका' कहते हैं। यह आम के पेड़ जैसा छायादार वृक्ष होता है। इसके पत्ते 8-9 इंच लम्बे और दो-ढाई इंच चौड़े होते हैं। इसके पत्ते शुरू में तांबे जैसे रंग के होते हैं, इसीलिए इसे 'ताम्रपल्लव' भी कहते हैं। इसके नारंगी रंग के फूल वसंत ऋतु में आते हैं, जो बाद में लाल रंग के हो जाते हैं। सुनहरी लाल रंग के फूलों वाला होने से इसे 'हेमपुष्पा' भी कहा जाता है।

नकली अशोक वृक्ष
नकली अशोक वृक्ष के पत्ते आम के पत्तों जैसे होते हैं। इसके फूल सफ़ेद, पीले रंग के और फल लाल रंग के होते हैं। यह देवदार जाति का वृक्ष होता है। यह दवाई के काम का नहीं होता।

Comments

  1. अच्‍छी जानकारी दी...शुक्रि‍या

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  2. अशोक का पेड़ तो ठीक है लेकिन वाटिका का क्या मतलब है किस कारण से हम अशोक वाटिका कहते है ?

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