अमेरिका की खोज जैंग और कोलम्बसन से भी पहले नॉर्स या वाइकिंग नॉर्स या वाइकिंग से पहले आयरलैंड के एक ईसाई सन्त ब्रेंडम एम्बोर्ट की

अमेरिका का इतिहास क्रिस्टोफर कोलम्बस के बिना अधूरा है... अमेरिका की खोज के लिए इमेज परिणाम        
          क्रिस्टोफर कोलम्बस को ही अमेरिका को खोजने का श्रेय दिया जाता है... किसी जगह को खोजने से तात्पर्य होता है उस जगह तक पहुचने का रास्ता खोजना... प्राचीन यूरोपिन्स को एशिया, यूरोप और अफ्रीका महाद्वीप के अलावा किसी और द्वीप के होने का ज्ञान नही था... कोलम्बस यूरोप से भारत जाने वाला समुद्री रास्ता खोजने की मुहिम पर निकले थे लेकिन गलत दिशा का चुनाव करने की वजह से वो अमेरिकी उपमहाद्वीप पहुँच गए... इतिहास की किताबों में ऐसी भी कहानियाँ लिखी है की ये गलती उनसे किसी अज्ञात शक्ति ने करवाई थी... एक कहानी कहती है कि वो आसमान में दिखने वाली एक रोशनी का पीछा करते हुए अमेरिका पहुँच गए थे... 1492 से 1502 के बीच कोलम्बस ने अमेरिका की चार यात्राएं की...
लेकिन आपको ये जानकारी हैरानी हो सकती है कि कोलम्बस अमेरिका पहुचने वाले पहले यूरोपियन नहीं थे... कोलम्बस से लगभग सत्तर साल पहले चाइना की एक घुमन्तु जनजाति के जैंग और उनके कुछ साथियों के अमरीका पहुँचने के सबूत मौजूद है... चाइना में सन 1418 में बने एक नक्शे में दक्षिण अमेरिका, वहां के पर्वतों, नदियों और वहां तक पहुँचने के समुद्री रास्तों का विवरण मिलता है जो जैंग के अनुभवों पर आधारित था...
लेकिन अमेरिका की खोज जैंग और कोलम्बस से भी 500 साल पहले एक हज़ार ईसवी में हो चुकी थी... और ये खोज की थी नॉर्स या वाइकिंग कहलाने वाले नॉर्स या वाइकिंग ... हालांकि अमेरिका की खोज की उनकी यात्रा लूटपाट के लिए नहीं थी... सन 1960 में न्यू फ़िनलैंड में मिली कलाकृतियों और उत्तर अमेरिका के उत्तरी हिस्से में उनकी बस्तियों के अवशेष मिलने से साबित हुआ कि वाईकिन्स पहले यूरोपीयन थे जो एक हज़ार अमेरिका में पहुचे और बसे थे... आइसलैंडियन बुक एडॉस के अनुसार वाइकिन्स सातवीं सदी से ही अपने आराध्य देवता थॉर की खोज में पूरी दुनियाँ का चक्कर लगा रहे थे... लेकिन तथ्यात्मक और ऐतिहासिक रूप से अमेरिका जाने वाले पहले यूरोपियन आइसलैंड निवासी लीफ एरिक्सन और उनके साथी थे जो एक मशहूर नॉर्स समुद्री घुमन्तु 'एरिक द रेड' के बेटे थे... 970 में जन्मे लीफ एरिक्सन और उनके साथी सन 999 मे ग्रीनलैंड और नॉर्वे से होते हुए छः महीने की लंबी समुद्री यात्रा के बाद उत्तरी अमेरिका के तट को छुआ और इसे नाम दिया विनलैंड...
लेकिन लीफ एरिक्सन भी अमेरिका जाने वाले पहले व्यक्ति नहीं थे...
लीफ एरिक्सन के अमेरिका पहुचने से 400 साल पहले आयरलैंड के एक ईसाई सन्त ब्रेंडम एम्बोर्ट के अमेरिका पहुँचने के सबूत मौजूद है... ब्रेंडम एम्बोर्ट बाइबिल में दर्ज गार्डन ऑफ ईडन की खोज में भटकते हुए अमेरिका के उत्तरी तट पर पहुँच गए... ये ईसाई सन्त आयरलैंड के पहले व्यक्ति थे जो सबसे पहले अमेरिका पहुँचे... लेकिन वो दुनियाँ के पहले व्यक्ति नहीं थे जिन्होंने अमेरिका की धरती पर कदम रखा...
499 ईसवी, चाइना पर लिआंग वंश के शासन काल के दौरान मिंग प्रान्त के रहने वाले बौद्ध सन्त ह्वी सॉन्ग ने अमेरिका की धरती को छुआ था... सबसे पहले वो चाइना से अफगानिस्तान पहुंचे जो उस वक्त बौद्ध धर्म का सबसे बड़ा केंद्र था... वहां से चालीस बौद्ध भिक्षुओं के साथ उन्होंने फु-सॉन्ग नामक जगह की खोज की यात्रा शुरू की... उत्तरी प्रशांत महासागर को पार करते हुए कई महीनों बाद उन्होंने फु-सॉन्ग नामक उस अनजान जगह पर अपने कदम रखे... उनकी इस महान यात्रा का वर्णन सातवीं सदी की एक प्रसिद्ध चाइनीज़ बुक बुक ऑफ लिआंग सहित उस वक्त की कई किताबो में दर्ज है...
दिलचस्प बात ये है कि ह्वी सॉन्ग जिस फु सॉन्ग नामक जगह की खोज में निकले थे वो 219 ईसा पूर्व में तिब्बत के एक बौद्ध सन्त की अमेरिका यात्रा पर आधारित थी... एक किवंदती के अनुसार सम्राट सी ह्यूआँग के समय मे फु सॉन्ग नामक एक बौद्ध भिक्षु पूर्व में एक अनजान जगह पर पहुँचे थे... जिसे उन्होंने अपने नाम पर ही फु सॉन्ग नाम दे दिया था... ह्वी सॉन्ग ने ये कहानी बचपन से सुन रखी थी और वो उनका सपना उस अनजान जगह पर जाने का था... बड़े होने पर उन्होंने अपना वो सपना पूरा भी किया... जिस जगह को उस प्राचीन तिब्बती बौद्ध सन्त ने फु सॉन्ग नाम दिया वो था उत्तरी अमेरिका का बेहद बीहड़ इलाका ग्रैंड कैनियन घाटी...
219 ईसा पूर्व में तिब्बत के किसी बौद्ध सन्त के अमेरिका जाने की कहानी को हमेशा एक मिथक ही माना गया, तब तक जब तक सन 1909 में जी. ई. किंकेड नाम के एक खोजकर्ता ने ग्रैंड कैनियन की गहरी घाटी में पत्थरों को काट कर बनाए गए एक अति प्राचीन लुप्त शहर को ढूंढ नही निकाला... 

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