अर्जुन की छाल है बहुत गुणकारी
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- सर्दियों में अकसर हाय बीपी और हृदयाघात के मरीज़ बढ़ जाते है।
- इसके लिए नियमित सुबह शाम अर्जुन की छाल के चूर्ण की चाय बना कर पिए।
- अर्जुन की छाल को कपड़े से छान ले इस चूर्ण को जीभ पर रखकर चूसते ही हृदय की अधिक अनियमित धड़कनें नियमित होने लगती है।
- अर्जुन हृदय के विराम काल को बढ़ाता है।
- यह शीतल, हृदय को हितकारी, कसैला और क्षत, क्षय, विष, रुधिर विकार, मेद, प्रमेह, व्रण, कफ तथा पित्त को नष्ट करता है।
रक्तपित्त - सुबह अर्जुनकी छाल क काढ़ा बनाकर पीने से रक्तपित्त दूर हो जाता है।
- इस काढ़े से पेशाब की रुकावट दूर हो जाती है. लाभ होने तक दिन में एक बार पिलाएं।
- अर्जुन की छाल में जरा-सी भुनी हुई हींग और सेंधा नमक मिलाकर सुबह-शाम गुनगुने पानी के साथ फंकी लेने से गुर्दे का दर्द, पेट के दर्द और पेट की जलन में लाभ होता है।
- रक्तदोष, त्वचा रोग एवं कुष्ठ रोग में अर्जुन की छाल का 1 चम्मच चूर्ण पानी के साथ सेवन करने से व इसकी छाल को पानी में घिसकर त्वचा पर लेप करने एवं अर्जुन की छाल को पानी में उबालकर या गुनगुने पानी में मिलाकर नहाने से कुष्ठ और त्वचा रोगों में बहुत लाभ होता है।
- आग से जलने पर होने वाला घाव पर अर्जुन की छाल के चूर्ण को लगाने से घाव शीघ्र ही भर जाता है। अर्जुन छाल को कूट कर काढ़ा बनाकर घावों और जख्मों को धोने से लाभ होता है।
- खांसी : अर्जुन की छाल के चूर्ण में ताजे हरे अडूसे के पत्तों का रस मिलाकर सुखा लें, फिर से इसमें अडूसे के पत्तों का रस डालकर सुखा लें। ऐसा सात बार करके चूर्ण को खूब सुखाकर पैक बंद शीशी में भर लें. इस चूर्ण को 3 ग्राम (छोटा आधा चम्मच) मात्रा में शहद में मिलाकर चटाने से रोगी को खांसी में आराम हो जाता है।
- घी, दूध ,मिश्री या गुड़ के साथ अर्जुन की छाल का महीन चूर्ण नियमित सेवन करने से हृदय रोग, जीर्णज्वर, रक्त पित्त रोग दूर होते है तथा सेवन करने वाले की उम्र भी बढाती है।
- श्वेतप्रदर, पेट दर्द, कान का दर्द, मुंह की झांइयां,कोढ बुखार, क्षय और खांसी में भी यह लाभप्रद रहता है।
- अर्जुन शक्तिदायक टानिक है जो अपने लवण-खनिजों से दिल की मांसपेशियों को मजबूत बनाता है।
- अर्जुन की छाल के चूर्ण की गुड़ के साथ फंकी लेने से जीर्ण ज्वर ठीक होता है।
- रात को दूध और चावल की खीर बना कर इस में सुबह 4 बजे अर्जुन की छाल के 2 चम्मच चूर्ण को मिलाकर सेवन करने से श्वांस रोग नष्ट हो जाते है।
- हड्डी टूट जाने और चोट लगने पर भी अर्जुन की छाल शीघ्र लाभ करती है. अर्जुन की छाल के चूर्ण की फंकी दूध के साथ लेने से टूटी हुई हड्डी जुड़ जाती है।
- अर्जुन की छाल को पानी के साथ पीसकर लेप करने से दर्द में भी आराम मिलता है।
- टूटी हड्डी के स्थान पर अर्जुन की छाल को घी में पीसकर लेप करके पट्टी बांध लेने से हड्डी शीघ्र जुड़ जाती है।
- नारियल के तेल में अर्जुन की छाल के चूर्ण को मिलाकर मुंह के छालों पर लगाने से मुंह के छाले ठीक हो जायेंगे।
- अर्जुन छाल के चूर्ण को मेहंदी के साथ मिलाकर बालों में लगाने से पके हुए बाल भी काले हो जाते है।
- सर्दियों में अकसर हाय बीपी और हृदयाघात के मरीज़ बढ़ जाते है।
- इसके लिए नियमित सुबह शाम अर्जुन की छाल के चूर्ण की चाय बना कर पिए।
- अर्जुन की छाल को कपड़े से छान ले इस चूर्ण को जीभ पर रखकर चूसते ही हृदय की अधिक अनियमित धड़कनें नियमित होने लगती है।
- अर्जुन हृदय के विराम काल को बढ़ाता है।
- यह शीतल, हृदय को हितकारी, कसैला और क्षत, क्षय, विष, रुधिर विकार, मेद, प्रमेह, व्रण, कफ तथा पित्त को नष्ट करता है।
रक्तपित्त - सुबह अर्जुनकी छाल क काढ़ा बनाकर पीने से रक्तपित्त दूर हो जाता है।
- इस काढ़े से पेशाब की रुकावट दूर हो जाती है. लाभ होने तक दिन में एक बार पिलाएं।
- अर्जुन की छाल में जरा-सी भुनी हुई हींग और सेंधा नमक मिलाकर सुबह-शाम गुनगुने पानी के साथ फंकी लेने से गुर्दे का दर्द, पेट के दर्द और पेट की जलन में लाभ होता है।
- रक्तदोष, त्वचा रोग एवं कुष्ठ रोग में अर्जुन की छाल का 1 चम्मच चूर्ण पानी के साथ सेवन करने से व इसकी छाल को पानी में घिसकर त्वचा पर लेप करने एवं अर्जुन की छाल को पानी में उबालकर या गुनगुने पानी में मिलाकर नहाने से कुष्ठ और त्वचा रोगों में बहुत लाभ होता है।
- आग से जलने पर होने वाला घाव पर अर्जुन की छाल के चूर्ण को लगाने से घाव शीघ्र ही भर जाता है। अर्जुन छाल को कूट कर काढ़ा बनाकर घावों और जख्मों को धोने से लाभ होता है।
- खांसी : अर्जुन की छाल के चूर्ण में ताजे हरे अडूसे के पत्तों का रस मिलाकर सुखा लें, फिर से इसमें अडूसे के पत्तों का रस डालकर सुखा लें। ऐसा सात बार करके चूर्ण को खूब सुखाकर पैक बंद शीशी में भर लें. इस चूर्ण को 3 ग्राम (छोटा आधा चम्मच) मात्रा में शहद में मिलाकर चटाने से रोगी को खांसी में आराम हो जाता है।
- घी, दूध ,मिश्री या गुड़ के साथ अर्जुन की छाल का महीन चूर्ण नियमित सेवन करने से हृदय रोग, जीर्णज्वर, रक्त पित्त रोग दूर होते है तथा सेवन करने वाले की उम्र भी बढाती है।
- श्वेतप्रदर, पेट दर्द, कान का दर्द, मुंह की झांइयां,कोढ बुखार, क्षय और खांसी में भी यह लाभप्रद रहता है।
- अर्जुन शक्तिदायक टानिक है जो अपने लवण-खनिजों से दिल की मांसपेशियों को मजबूत बनाता है।
- अर्जुन की छाल के चूर्ण की गुड़ के साथ फंकी लेने से जीर्ण ज्वर ठीक होता है।
- रात को दूध और चावल की खीर बना कर इस में सुबह 4 बजे अर्जुन की छाल के 2 चम्मच चूर्ण को मिलाकर सेवन करने से श्वांस रोग नष्ट हो जाते है।
- हड्डी टूट जाने और चोट लगने पर भी अर्जुन की छाल शीघ्र लाभ करती है. अर्जुन की छाल के चूर्ण की फंकी दूध के साथ लेने से टूटी हुई हड्डी जुड़ जाती है।
- अर्जुन की छाल को पानी के साथ पीसकर लेप करने से दर्द में भी आराम मिलता है।
- टूटी हड्डी के स्थान पर अर्जुन की छाल को घी में पीसकर लेप करके पट्टी बांध लेने से हड्डी शीघ्र जुड़ जाती है।
- नारियल के तेल में अर्जुन की छाल के चूर्ण को मिलाकर मुंह के छालों पर लगाने से मुंह के छाले ठीक हो जायेंगे।
- अर्जुन छाल के चूर्ण को मेहंदी के साथ मिलाकर बालों में लगाने से पके हुए बाल भी काले हो जाते है।
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