दातुन के फायदे के आगे टूथब्रश बेकार है ।
दातुन के इन फायदों को जानकर टूथब्रश करना छोड़ देंगे------
आज कल हर घर में दांत साफ करने के लिए लोग टूथब्रश का इस्तेमाल करने लगे हैं। जबकि दातुन के इतने फायदे हैं जिसे जानकर आप टूथब्रश की बजया दातुन का इस्तेमाल करने लगेंगे। दातुन न सिर्फ आपकी सेहत और बौद्घिक क्षमता के लिए बेहतर है बल्कि दातुन धर्म और अध्यात्म की दृष्टि से भी उत्तम बताया गया है। यही कारण है कि व्रत, त्योहार के दिन बहुत से लोग ब्रश की बजाय दातुन से दांत साफ करते हैं।
धार्मिक दृष्टि से दातुन का महत्व इसलिए बताया गया है कि क्योंकि दातुन जूठा नहीं होता जबकि टुथब्रश आप हर दिन नया नहीं प्रयोग करते। एक ही टूथब्रश को धोकर आप कई बार इस्तेमाल करते हैं। इससे ब्रश शुद्घ और पवित्र नहीं रह जाता है। इसलिए व्रत और त्योहार के दिन ब्रश करना शास्त्रों की दृष्टि से उचित नहीं है। जबकि आयुर्वेद के अनुसार दातुन करने का फायदा चौंकाने वाला है।
विभिन्न वृक्षो से प्राप्त दातुनों के फायदे (आयुर्वेदनुसार)-------
बबूल
आयुर्वेद में बताया गया है कि दातुन सिर्फ आपके दांतों को ही चमकाता नहीं है बल्कि यह आपकी बौद्घिक क्षमता और स्मरण शक्ति को भी बढ़ता है। जो लोग अपनी याद्दाश्त बढ़ाना चाहते हैं उन्हें अपामार्ग के दातुन से दांतों का साफ करना चाहिए। इससे बुध ग्रह का दोष भी दूर होता है।
मसूड़ों और दांतों की मजबूती के लिए बबूल के दातुन से दांत साफ करना बड़ा ही फायदेमंद होता है। बबूल शनि ग्रह के अशुभ प्रभाव को दूर करता है। इसलिए ज्योतिषशास्त्र में बताया गया है कि शनि दोष से मुक्ति के लिए सुबह शाम बबूल के दातुन से दांत साफ करें।
नीम
आयुर्वेद में बताया गया है कि 'निम्बश्च तिक्तके श्रेष्ठः'। नीम का दातुन दांतों को ही स्वस्थ नहीं रखता बल्कि इससे पाचन क्रिया और चेहरे पर भी निखार आता है। यही कारण है कि आज भी गांवों में बहुत से लोगों नियमित नीम की दातुन इस्तेमाल करते हैं।
बेर
आयुर्वेद में बताया गया है कि बेर के दातुन से नियमित दांत साफ करें तो आवज साफ और मधुर हो जाती है 'बदर्या मधुरः स्वरः'। इसलिए जो लोग वाणी से संबंधित क्षेत्रों में करियर बनाने की सोच रहे हैं या इस क्षेत्र से जुड़े हुए हैं। यानी अपनी आवाज का कैरियर के तौर पर इस्तेमाल करना चाहते हैं उन्हें बेर के दातुन का नियमित इस्तेमाल करना चाहिए।
मार्कण्डेय पुराण में बताया गया है कि 'प्रक्षाल्य भक्षयेत् पूर्वं प्रक्षाल्यैव तु तत्त्यजेत' यानी दातुन करने से पहले और दातून करने के बाद इसे पानी से धो लेना चाहिए। कारण यह है कि बिना धोए दातुन करने से दातुन पर बैठे हानिकारक कीटों से नुकसान हो सकता है। जबकि दातुन करने के बाद इसलिए धोकर फेंकना चाहिए क्योंकि सुबह मुख विषैला होता है इससे इस्तेमाल किए दातून के संपर्क में आने से दूसरे जीवों को नुकसान हो सकता है।
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