जाने मुंडन की परंपरा का वैज्ञानिक पहलु
वेणी दान : संगम तट पर महिलाओ का मुंडन
तीर्थराज प्रयाग में सभी स्त्रियां चाहे वह सुहागिन हों या विधवा, उन्हें मुंडन कराने का अधिकार दिया गया है। इस मुंडन को शुभ माना जाता है, इसे कराने के लिए प्रयाग में समय या मुहूर्त का विचार नहीं किया जाता।
सबसे पहले सावित्री ने ब्रह्मा को तीन अंगुलियों के बराबर अपनी वेणी के बाल काट कर दिए। उन्होंने इसे पवित्र जल में समर्पित कर दिया और अपने सौभाग्य का प्रमाण फूल की माला में वेणीमाधव को भेंट कर दी।इस मुंडन का एक रूप वेणी दान है। यह दान आमतौर पर दक्षिण भारत और महाराष्ट्र की महिलाएं करती हैं।वेणी दान के लिए पहले सोलह उपचारों से वेणीमाधव का पूजन करना चाहिए, फिर अंजुली में चोटी रखकर यह मंत्र पढ़ना चाहिए-
नमोवेण्यै नमोवेण्यै नमोवेण्यै नमो नमः।
पातिव्रत्यं सदामहयमदेहि तुम्यं नमोनमः॥
इस मंत्र से वेणी को जल में छोड़ देना चाहिए, फिर पति की इच्छा के अनुसार या तो पूरा मुंडन कराना चाहिए या नहीं कराना चाहिए। शरीर धारियों के सभी पाप उसके बालों में छिपकर रहते हैं, इसलिए उन्हें कटवा देना चाहिए। अन्य पुराणों में सभी बाल काटने की मनाही की गई है, लेकिन प्रयाग में इसकी मनाही नहीं है।
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