अँगूठे से जानिए स्वभाव



1. अँगूठा मानवीय चरित्र का सरलतम प्रतीक है। अँगूठा एक वह धुरी है जिस पर संपूर्ण जीवन चक्र घूमता 

रहता है। सफलता दिलवाने वाला अँगूठा सुडौल, सुंदर और संतुलित होना चाहिए। उसकी इच्छा व तार्किक 

बुद्धि एक-दूसरे के पूरक होने चाहिए। अँगूठे को मस्तिष्क का केंद्रबिन्दु बताया गया है। 

अँगूठे में पहला पोर दृढ़ इच्छाशक्ति का सूचक है, दूसरा पोर तर्क और कारण का तथा तीसरा जो शुक्र पर्वत 

को घेरता है, वह मनोविकार को प्रकट करता है। यह यदि पूर्ण भरा हुआ और पुष्ट होगा तो मानव मनोविकारों 

के अधीन होगा। 

यदि दूसरा पोर कमजोर हुआ तथा मनोविकार का पुष्ट हुआ तो मनुष्य पथभ्रष्ट हो जाता है। यदि 

इच्छाशक्ति कमजोर है तथा अंतिम दोनों पेरु अच्छे, सुसंगठित हैं तो मनुष्य लम्पट होगा और दुराचार तथा 

अन्य दुर्गुणों में फँस जाएगा।

हाथ में अँगूठे की अपनी एक अनूठी विशेषता है। हाथ में इसका सुदृढ़ होना जीवन का संतुलित होना है। सुदृढ़ 

अँगूठे वाला व्यक्ति अपनी बात का धनी होता है, विचारों व सिद्धांतों का पक्का होता है। ऐसा व्यक्ति सोचे हुए 

काम को करता है तथा समय का पाबंद होते हुए जिद्दी भी होता है। सतर्कता के साथ-साथ वह अपना भेद 

किसी को नहीं देता। 

वह स्वयं अनुशासित होता है। इच्छाशक्ति और तर्क शक्ति के बीच में यदि यव (द्वीप) हो तो वह व्यक्ति 

अपने घर में रहने वाला मिष्ठान्न प्रेमी, सुखी, विद्वान व कीर्ति वाला होता है।

अँगूठे की जड़ में यदि सीधी रेखाएँ हों तो उनकी संख्या के अनुसार उतने ही उसके पुत्र-संतानें होंगी, स्त्री के 

हाथ में यदि दूसरी संधि पर कोई तारे का चिह्न हो तो वह स्त्री अत्याधिक धनवाली होती है। अँगूठे की जड़ में 

से कोई एक रेखा शुक्र के ऊपर से होकर आयु रेखा में मिल जाए तो यह रेखा बहुत बड़ी संपत्ति दिलाती है। 

यदि ऐसी दो रेखाएँ हों तो बड़ी जायदाद और कुटुम्ब दोनों ही होते हैं।

2. अँगूठे का पहला पोर मोटा, भारी और छोटा हो तो ऐसा व्यक्ति अचानक गुस्से में आकर किसी को कुछ भी 

हानि पहुँचा सकता है। पहला पोर चपटा होने से चाहे वह छोटा ही हो, उपरोक्त वर्णित गुणों में थोड़ी कमी आ 

जाएगी। 

अँगूठे का दूसरा पोर बड़ा रहने से तर्क, विवेक और कारण शक्ति से काम को सोच-समझकर करने की 

सूझबूझ उस व्यक्ति में रहती है। इसके साथ ही बुध पर्वत सुंदर हो या मस्तक रेखा गोलाईयुक्त लंबी हो तो 

तर्क, वाक्‌चातुर्य से वह व्यक्ति हर काम को सफल कर लेगा। मस्तिष्क रेखा टूटी हो, उसमें द्वीप हो तो 

अधिक छोटे अँगूठे वाला व्यक्ति आत्म नियंत्रण नहीं रख पाता।

अँगूठे का छोटा होना शुभ नहीं है। छोटे अँगूठे में काम विकृति भी पैदा हो सकती है बशर्ते कि मंगल का पर्वत 

उभरा हुआ हो, शुक्र मुद्रिका हो तो व्यक्ति समाज में मिलनसार होगा। 

परिस्थिति के अनुसार झुक जाएगा वैवाहिक जीवन ठीक रहेगा। कभी-कभी वह बाहरी दिखावा करेगा और 

यदि गुरु पर्वत तथा मस्तिष्क व हृदय रेखा समांतर पर है तो मित्रता करने में निपुण होगा। लंबी हथेली में 

यदि छोटा अँगूठा हो तो वह व्यक्ति स्वयं के स्थान व क्षेत्र में अच्छा होता है।

चौकोर अँगूठायुक्त व्यक्ति आक्रामक और शीघ्र काम करने वाला होता है। चपटे अँगूठे वाला व्यक्ति कोमल 

स्वभाव का होता है तथा स्नायविक संवेदनशीलता का धनी होता है और ऐसा व्यक्ति अपने उद्देश्य के मार्ग में 

आने वाली बाधा को नष्ट कर देता है। ऐसे व्यक्तियों को सही मार्गदर्शन मिलना बड़ा आवश्यक होता है। 

पतली कमर के समान अँगूठे वाला व्यक्ति चुस्त व चालाक बुद्धि का होता है, लेकिन यदि दूसरा पोर मोटा हो 

तो वह अपना उल्लू सीधा करने के लिए कोई भी अनैतिक कार्य कर सकता है, ऐसा व्यक्ति कूटनीति में 

प्रवीण होता है।

3. बृहस्पति पर्वत से काफी नीचे से निकलने वाले अँगूठे वाला व्यक्ति मिलनसार, विवेकी होने के साथ 

शैक्षिक योग्यतायुक्त अच्छे साहित्य का ज्ञाता होता है। वह अत्याचारों का विरोधी होता है। बृहस्पति पर्वत से 

कम दूरी पर निकलने वाले अँगूठे का व्यक्ति अल्पबुद्धि वाला होता है। ऐसे व्यक्ति स्वार्थी, लालची व संकीर्ण 

विचारों वाले होते हैं।

कहने का तात्पर्य यह है कि अँगूठा जितना ऊँचा और गुरु पर्वत के समीप होगा, उतना ही दिमाग कम होगा। 

पहले पोर की अपेक्षा यदि अँगूठे का दूसरा पोर लंबा हुआ तो व्यक्ति में आदर्शों को महसूस करने की 

अयोग्यता रहती है। कानूनी बात करने वाला विचारक और बहुभाषी होता है।

अँगूठे के प्रथम पोर के नीचे की ओर शुक्र पर्वत के ऊपर से दो रेखाएँ हों तो संपत्ति मिलती है। यदि ये रेखाएँ 

मिल-जुलकर चलती जाएँ या अंत में मिल जाएँ तो ऐसा व्यक्ति जुआ खेलकर प्रायः संपत्ति नष्ट करता है।

वास्तव में अँगूठा मानवीय चरित्र का सरलतम प्रतीक है। अँगूठा एक वह धुरी है जिस पर संपूर्ण जीवन चक्र 

घूमता रहता है। सफलता दिलवाने वाला अँगूठा सुडौल, सुंदर और संतुलित होना चाहिए। उसकी इच्छा व 

तार्किक बुद्धि एक-दूसरे के पूरक होने चाहिए।

अब अँगूठे के संदर्भ में एक रोचक तथ्य का विश्लेषण। दो अँगूठे वाले अपने आप किसी द्वंद्व में उलझ जाते हैं। 

सामान्य रूप से काम करते-करते वे उलझनों का निर्माण कर फिर विद्रोह करते हैं। विद्वेष में, 

प्रतिद्वंद्वात्मक भावनाओं में संघर्ष करते रहने में उन्हें एक आनंद आता है और उसमें अंतिम दम तक रत 

रहते हैं। तीस से चालीस प्रतिशत अपराध वृत्ति इनमें पाई जाती है।

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