मोटापा --- खोने लगा है
1. तनाव का विज्ञान------आज के जीवन में अगर कुछ है जो सबके साथ जुड़ गया है चाहे बिना चाहे वो है तनाव ...तनाव का अपना एक विज्ञान है . हम में से ज्यादातर लोग जीवन में जबरदस्ती तनाव को पाले होते हैं . वास्तव में लोग जिन वजहों से तनावग्रस्त होते हैं , वे महत्वपूर्ण नही होती हैं लेकिन इतनी अधिक प्रभावशाली होती हैं कि उनका हमारे दिमाग, मन एवं शरीर पर जबरदस्त असर होता है वास्तव में देखा जाये तो तनाव हमारे शरीर , दिमाग , संवेदनाओं और उर्जा को व्यवस्थित न कर पाने की अयोग्यता है.
अतीत , वर्तमान और भविष्य का चक्र, अधूरे सपनों को पूरा करने की ख्वाहिश व जिन्दगी में संतुलन बनाये रखने की चाहना के वाजिब और सही जवाब को आने से रोकने वाली मानसिक स्थिति ही तनाव है
जीवन की भौतिक उपलब्धियों की प्राप्ति, व्यक्तिगत उपलब्धियों की प्राप्ति और इसके लिए परस्पर होड़ा होड़ी से उपजता है अंतर्द्वद जो जन्म देता है तनाव को .
तनाव एक ऐसी स्थिति है जिससे बचा नही जा सकता है इसलिए जरुरी है इसका अपेक्षित प्रबंधन क्योकि तनाव मोटापे के मूल में रहता है . तनाव शरीर की ऐसी अवस्था जब व्यक्ति सोचते हुए थकने लग कर दिशाहीन हो जाता है और उसका भोजन ,नींद, आराम , व्यायाम आदि सारी घड़ियाँ अस्त व्यस्त हो जाती हैं जिससे ऊर्जा प्रणाली लगभग ठप्प पड़ जाती है और एक नए तनाव के रूप में बढ़ने लगता है मोटापा .
जिसमे पहला है शेयर करना और
दूसरा है कार्य में जुट जाना.
अपनी बात को,परेशानी को, तकलीफ को या फिर किसी भी प्रकार की आशंका या शंका को साझा करें
और इन्हे दूर करने का सोचें. इसी तरह तनाव की स्थिति में अपनेआप को काम में डुबों दे इस से
तनाव देने वाली बातों से स्वयं ही ध्यान हट जायेगा और दिमागी शांति होने पर तनाव को कम करने
का सही उपाय भी सूझ जायेगा
2.खुश रहने का विज्ञान -----मोटापे को दूर रखना है तो खुश रहिये , छोटी छोटी बातों को तूल मत दीजिये , जीवन को दौड़ प्रतियोगिता मत बनाइये , स्वयं की खामियों और अच्छाइयों का जायजा लीजिये, मुस्कराइए और अपनी मुस्कराहट ओरो में भी बाँटिये
3.आनुवंशिकता का विज्ञान------वैज्ञानिकों का मानना है की मोटापे का एक महत्वपूर्ण कारण आनुवंशिकता भी है जिसके लिए एक जीन एफ टी ओ की पहचान की गई है. शोध में ऐसा पाया गया है कि ऐसे लोग जिनमें उक्त जीन का विशेष प्रकार पाया जाता है वे लोग अधिक वज़न वाले होते हैं क्योकि यह हार्मोन भूख बढ़ाने वाले हार्मोन की मात्रा को कम नही होने देता है और इस कारण से पेट भर जाने का संकेत प्राप्त नही होने से व्यक्तिगत अधिक भोजन करना जारी रखता है और मोटापे का शिकार हो जाता है|
4.समय का प्रबंधन ----- समय एक ऐसा कारक है जो मोटापे को पैदा भी करता है और उसे सही भी कर सकता है .
सामान्यतया समय का कुप्रबंधन जहाँ एक और दैनिक दिनचर्या को बिगाड़ देता है वहीँ दूसरी और तनाव को भी जन्म देता है ऐसे में इसकी दोहरी मार सारी जीवन पद्धति को तहस नहस कर देती है.
समय सभी के लिए एक दिन में चौबीस घंटे ही होते है जरुरत है इसके सुचारू प्रबंधन की , इसके लिए सबसे पहली बात है कि आप जीवन में कार्यों को सिलसिलेवार करें , कार्यों का सही बंटवारा करे , काम को बेवज़ह ओढ़े नही , अपनी क्षमताओ को पहचाने ना कहना सीखें , अपनी प्राथमिकताओं का निर्धारण करें और रोज़ सोने से पहले कुछ पल के लिए दिन भर का आकलन करें कि आज कहाँ और क्यों और किन कारणों से समय का यथोचित उपयोग नही हो पाया जोकि आसानी से किया जा सकता था.
सारांश:--
अतः सार रूप में बात करें तो मोटापा एक आमंत्रित की हुई विपदा है जिस से आसानी से बचा जा सकता है बस हमें भोजन, नींद, शारीरिक श्रम , आराम, तनाव व खुशियों का समय के अनुरूप प्रबंधन करना पड़ेगा. सच मानिये तो मोटापे की कोई दवा नही है क्योंकि मोटापा जीवन शैली जनित लक्षण हैं .इसलिए मोटापे को रहन सहन , खान पान और दिनचर्या में बदलाव लेकर ही नियंत्रित किया जा सकता है
विशेष नोट :----- शल्य चिकित्सा ( सर्जरी ) में मोटापा कम करने की अति आधुनिक विधि है बेरिएट्रिक सर्जरी जिसमे आमाशय के आयतन को कम किया जाता है जिस से व्यक्ति के भोजन लेने की मात्रा स्वतः ही कम हो जाती है . यह एक प्रभावशाली विधि है
एक दूसरी विधि है लिपोस्कशन जिसमे वसा कोशिकाओ से वसा निकाली जाती है पर यह लाभ थोड़े समय के लिए ही रहता है और कोशिकाएं पुनः वसा का संग्रह करना आरम्भ कर देती हैं
एक विशेष बात :-----
दवाओं से कभी मोटापा कम नही होता इसलिए किसी भी चमत्कार के इंतज़ार में कृपया बाजार से मोटापा कम करने की किसी भी प्रकार की दवा का सेवन न करें और इस प्रकार के किसी भी प्रलोभन से बचें . अपनी इच्छा शक्ति को मजबूत बनाएं और एक शरीरिक ही नही बल्कि मानसिक रूप से भी स्वस्थ जीवन बिताएं . इति
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