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Showing posts from February, 2014

शंख की महिमा (महत्व )

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शंख दो प्रकार के होते हैं – दक्षिणावर्त एवं वामावर्त। दक्षिणावर्त शंख पुण्य योग से मिलता है। यह जिसके यहाँ होता है उसके यहाँ लक्ष्मी जी निवास करती हैं। यह त्रिदोषशामक, शुद्ध एवं नवनिधियों में से एक निधि है तथा ग्रह एवं गरीबी की पीड़ा, क्षय, विष, कृशता एवं नेत्ररोग का नाश करता है। जो शंख सफेद चन्द्रकान्तमणि जैसा होता है वह उत्तम माना जाता है। अशुद्ध शंख गुणकारी नहीं होते, उन्हें शुद्ध करके ही दवा के रूप में प्रयोग में लाया जाता है। भारत के महान वैज्ञानिक श्री जगदीशचन्द्र बसु ने सिद्ध करके बताया है कि शंख को बजाने पर जहाँ तक उसकी ध्वनि पहुँचती वहाँ तक रोग उत्पन्न करने वाले कई प्रकार के हानिकारक जीवाणु नष्ट हो जाते हैं। इसीलिए अनादिकाल से प्रातःकाल एवं संध्या के समय मंदिरों में शंख बजाने का रिवाज चला आ रहा है। संध्या के समय हानिकारक जंतु प्रकट होकर रोग उत्पन्न करते हैं, अतः उस समय शंख बजाना आरोग्य के लिए लाभदायक हैं और इससे भूत-प्रेत, राक्षस आदि भाग जाते हैं। औषधि-प्रयोगः मात्राः अधोलिखित प्रत्येक रोग में 50 से 250 मि.ग्रा. शंखभस्म ले सकते हैं। गूँगापनः गूँगे व्यक्ति के...

बंदूकधारी घुड़सवार

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एक बंदूकधारी घुड़सवार अपनी यात्रा के दौरानएक जगह चाय पीने के लिये रुका उसने अपना घोड़ा चाय के होटल के पास एक पेड़ से बांध दिया और अंदर चाय पीने चला गया जब वह लौटा तो पाया कि उसका घोड़ा जगह पर नहीं है किसी ने उसे चुरा लिया था! घुडसवार ने बंदूक से एक हवाई फायर दागा और चिल्ला चिल्ला कर कहने लगा जिसने भी मेरा घोड़ा चुराया है वो सुन ले मैं चाय पीने अंदर जा रहा हूं इस बीच अगर मेरा घोड़ा वापस जगह पर नहीं मिला तो याद रखना …. इस जगह वही हाल करूंगा जो घोड़ा चोरी होने पर मैंने भटिंडा में किया था! चाय पीकर जब वह लौटा तो उसका घोड़ा अपनी जगह पर वापस बंधा था वह उस पर सवार होकर चलने लगा तभी होटल वाले ने आवाज देकर उसे रोका भाई, जरा वो किस्सा तो सुनाते जाओ भटिंडा में आखिरआपने क्या किया था? करना क्या था वहां से पैदल ही चला गया था!

दूसरे का पचड़ा !

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कल शाम को हरवंश जी पार्क में मिले तो मैंने देखा उनके माथे पर चोट लगी हुई है। मैंने जब चोट के बारे में पूछा तो वे बोले, " कल बैंक से पैसे लेकर बस से घर लौट रहा था तो बस में दो लड़के चढ़े और वे मेरा बैग छीन कर भाग गए। उस छीना - झपटी में मेरा सर सामने की सीट के हैंडल से जा टकराया। " उन्हें चुप होते देख मैंने पूछा," तो वे बैग ले गए ?" वे गुस्से में बोले, " आप भी शर्मा जी बेकार का सवाल पूछ रहे हैं। भरी बस में वे मुझे लूट कर ले गए लेकिन किसी ने भी मेरी  मदद नहीं की। इसमें ऐसे लोग भी जरूर रहे होंगे जो जब - तब बढ़ते अपराधों को लेकर जंतर - मंतर पर होने वाले प्रदर्शनों में हिस्सा लेते हैं। खैर, बाद में जरूर पूछ रहे थे कि बैग में क्या कुछ था ? साले जले पर नमक छिड़क रहे थे। " हरवंश जी की बात सुनकर मुझे कोई तीन महीने पहले की वह शाम याद आ गई जब मैं उनके घर किसी काम से गया था। उस दिन किसी प्रसंग को लेकर वे अपने जवान बेटे राकेश को समझा रहे थे," किसी दूसरे के पचड़े में पड़ने की कोई जरूरत नहीं। बहुत बुरा वक़्त आ गया है। सीधे ऑफिस जाया करो और सीधे घर आया करो। समझदार इंसान बनो।...

ट्रक, और कई वाहनों के पीछे के कुछ डायलोग

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गुरु ये ट्रक, और कई वाहनों के पीछे क्या - क्या डायलोग लिखा होता है..  कभी कभी तो पढ़कर ही सफ़र की थकान भाग जाती है और चेहरे पर मुस्कान आजाती है जहाँ तक मैने पढा है...  1. माँ का आशीर्वाद 2. "मिलेगा मुकद्दर" 3. "जय शेरां वाली" 4. "Jaat Risky, After Whiskey" 5. AVIOD GIRLS SAVE PETROL 6. एक टाटा वैन के पीछे लिखा था - हम दो, हमारे दो । और उसी के नीचे रंगीन अक्षरों में लिखा था : "सोनू, मोनू, पिंकी, गुड्डी & चिंकी दे पापा दी गड्डी 7. या तो न्यूऐ चाल्लेगी... 8. एक टाटा मैजिक के पीछे देखा ( जिसे आप छोटा हाथी के नाम से भी जानते है ) "पापा मैं भी बड़ा होकर ट्रक बनुगा" 9. धीरे चलाओ, घर पर कोई आपका इन्तजार कर रहा है" 10. एक बच्चों की स्कूल बस---------मुझे ना छेड़ मैं तो बच्चों वाली हू 11. Diesel Tank पर ये .... १=नोटों का दुश्मन:) २=इराक का पानी ३=खुराक मंत्री ४=खान पान विभाग 12. एक ट्रक के पीछे --> ले यो गया तेरा फूफा 13. एक ट्रक पे लिखा था : "बुरी नज़र वाले आँख का ऑपरेशन करा ले 14. बुरी नजर वाले तेरी लुगाई भागे 15. करले बेटा ड्राइवरी, फूट...

भूतों की कहानी

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भूत भी कई प्रकार के होते हैं। आज मैं भूतों की जो कहानी सुनाने जा रहा हूँ ओ बुड़ुआओं (एक प्रकार के भूत) के बारे में है। जब कोई व्यक्ति किसी कारण बस पानी में डूबकर मर जाता है तो वह बुड़ुआ बन जाता है। बुड़ुआ बहुत ही खतरनाक होते हैं पर इनका बस केवल पानी में ही चलता है वह भी डूबाहभर (जिसमें कोई डूब सकता हो) पानी में। हमारे तरफ गाँवों में जब खाटों (खटिया) में बहुत ही खटमल पड़ जाते हैं और खटमलमार दवा डा लने के बाद भी वे नहीं मरते तो लोगों के पास इन रक्तचूषक प्राणियों से बचने का बस एक ही रास्ता बचता है और वह यह कि उस खटमली खाट को किसी तालाब, खंता (गड्ढा) आदि में पानी में डूबो दिया जाए। जब वह खटमली खाट 2-3 दिनतक पानी में ही छोड़ दी जाती है तो ये रक्तचूषक प्राणी या तो पानी में डूबकर मर जाते हैं या अपना रास्ता नाप लेते हैं और वह खाट पूरी तरह से खटमल-फ्री हो जाती है। एकबार की बात है कि हमारे गाँव के ही एक पंडीजी एक गड्ढे (इस गड्ढे का निर्माण चिमनी के लिए ईंट पाथने के कारण हुआ है नहीं तो पहले यह समतल खेत हुआ करता था) में अपनी बँसखट (बाँस की खाट) को खटमल से निजात पाने के लिए डाल आए...