चुनाव हमें करना है ,शेर बनना है या लोमड़ी
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgzG-mNuiw3jO3sbfJajn9aFd3ysjeuHxKM_t714E2KOvR98nrM9WG34FgQMkE95dFZC0vRUQYKi3C6ffuwgQGCZoHFggfweEejHenVOO28kM2L5ppQzWEJLcPtLd7t9z6RIGyUGl24kRE/s1600/lion-fox-monk-moral-story-3165.jpg)
“कितना अजीब है ये !”, उसने बिना पैरों की लोमड़ी को देखते हुए मन ही मन सोचा .
“ आखिर इस हालत में ये जिंदा कैसे है ?” उसे आशचर्य हुआ , “ और ऊपर से ये बिलकुल स्वस्थ है ”
वह अपने ख़यालों में खोया हुआ था की अचानक चारो तरफ अफरा – तफरी मचने लगी ; जंगल का राजा शेर उस तरफ आ रहा था . भिक्षुक भी तेजी दिखाते हुए एक ऊँचे पेड़ पर चढ़ गया , और वहीँ से सब कुछ देखने लगा .
शेर ने एक हिरन का शिकार किया था और उसे अपने जबड़े में दबा कर लोमड़ी की तरफ बढ़ रहा था , पर उसने लोमड़ी पर हमला नहीं किया बल्कि उसे भी खाने के लिए मांस के कुछ टुकड़े डाल दिए .
“ ये तो घोर आश्चर्य है , शेर लोमड़ी को मारने की बजाये उसे भोजन दे रहा है .” , भिक्षुक बुदबुदाया,उसे अपनी आँखों पर भरोसा नहीं हो रहा था इसलिए वह अगले दिन फिर वहीँ आया और छिप कर शेर का इंतज़ार करने लगा . आज भी वैसा ही हुआ , शेर ने अपने शिकार का कुछ हिस्सा लोमड़ी के सामने डाल दिया .
“यह भगवान् के होने का प्रमाण है !” भिक्षुक ने अपने आप से कहा . “ वह जिसे पैदा करता है उसकी रोटी का भी इंतजाम कर देता है , आज से इस लोमड़ी की तरह मैं भी ऊपर वाले की दया पर जीऊंगा , ईश्वर मेरे भी भोजन की व्यवस्था करेगा .” और ऐसा सोचते हुए वह एक वीरान जगह पर जाकर एक पेड़ के नीचे बैठ गया .
पहला दिन बीता , पर कोई वहां नहीं आया , दूसरे दिन भी कुछ लोग उधर से गुजर गए पर भिक्षुक की तरफ किसी ने ध्यान नहीं दिया . इधर बिना कुछ खाए -पीये वह कमजोर होता जा रहा था . इसी तरह कुछ और दिन बीत गए , अब तो उसकी रही सही ताकत भी खत्म हो गयी …वह चलने -फिरने के लायक भी नहीं रहा . उसकी हालत बिलकुल मृत व्यक्ति की तरह हो चुकी थी की तभी एक महात्मा उधर से गुजरे और भिक्षुक के पास पहुंचे .
उसने अपनी सारी कहानी महात्मा जी को सुनाई और बोला , “ अब आप ही बताइए कि भगवान् इतना निर्दयी कैसे हो सकते हैं , क्या किसी व्यक्ति को इस हालत में पहुंचाना पाप नहीं है ?”
“ बिल्कुल है ,”, महात्मा जी ने कहा , “ लेकिन तुम इतना मूर्ख कैसे हो सकते हो ? तुम ये क्यों नहीं समझे कि भगवान् तुम्हे उसे शेर की तरह बनते देखना चाहते थे , लोमड़ी की तरह नहीं !!!”
मित्रो ,चुनाव हमें करना है । शेर बनना है या लोमड़ी ।
********************************************************************
शाम के वक्त दो बौद्ध भिक्षुक आश्रम को लौट रहे थे . अभी-अभी बारिश हुई थी और सड़क पर जगह जगह पानी लगा हुआ था . चलते चलते उन्होंने देखा की एक खूबसूरत नवयुवती सड़क पार करने की कोशिश कर रही है पर पानी अधिक होने की वजह से ऐसा नहीं कर पा रही है . दोनों में से बड़ा बौद्ध भिक्षुक युवती के पास गया और उसे उठा कर सड़क की दूसरी और ले आया . इसके बाद वह अपने साथी के साथ आश्रम को चल दिया।
शाम को छोटा बौद्ध भिक्षुक बड़े वाले के पास पहुंचा और बोला, भाई, भिक्षुक होने के नाते हम किसी औरत को नहीं छू सकते?
हाँ बड़े ने उत्तर दिया ,
तब छोटे ने पुनः पूछा, लेकिन आपने तो उस नवयुवती को अपनी गोद में उठाया था ?
यह सुन बड़ा बौद्ध भिक्षुक मुस्कुराते हुए बोला, मैंने तो उसे सड़क की दूसरी और छोड़ दिया था , पर तुम अभी भी उसे उठाये हुए हो।
शाम को छोटा बौद्ध भिक्षुक बड़े वाले के पास पहुंचा और बोला, भाई, भिक्षुक होने के नाते हम किसी औरत को नहीं छू सकते?
हाँ बड़े ने उत्तर दिया ,
तब छोटे ने पुनः पूछा, लेकिन आपने तो उस नवयुवती को अपनी गोद में उठाया था ?
यह सुन बड़ा बौद्ध भिक्षुक मुस्कुराते हुए बोला, मैंने तो उसे सड़क की दूसरी और छोड़ दिया था , पर तुम अभी भी उसे उठाये हुए हो।
Comments
Post a Comment