मुझसे मुझको मिला गयी


आखिर...
ये रुसवाई
ये तन्हाई
मुझसे मुझको मिला गयी,

क्या था...
क्या हो गया मैं
चुपके से मुझको बता गयी,

वो नादाँ इश्क मेरा
यूँ ही बेसबब ना था
मुझसे खोये
मेरे गुरुर को...
फिर मुझ तक पंहुचा गयी,

ये तन्हाई
और ये रुसवाई...
कितना कुछ मुझको बदल गयी
वो अल्हड ख्वाब मेरे
और बेफिक्र जीने का अंदाज,
जिंदगी को बस यूँ ही 
समझने को मेरे,
मुझको बहुत संजीदा कर गयी,

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