क्रोध पर महान लोगों के विचार
क्रोध पर महान लोगों के विचार.........
→जो व्यक्ति बदले की भावना रखता है वो दरअसल अपने ही घावों को हरा रखता है.
⇨ फ्रांसिस बैकन
→एक क्रोधित व्यक्ति अपना मुंह खोल लेता है और आँख बंद कर लेता है.
⇨केटो
→क्रोध और असहिष्णुता सही समझ के दुश्मन हैं.
⇨महात्मा गाँधी
→क्रोध एक तरह का पागलपन है.
⇨होरेस
→क्रोध मूर्खों के ह्रदय में ही बसता है.
⇨अल्बर्ट आइन्स्टाइन
→जिस आदमी ने कभी किसी औरत को क्रोधित नहीं किया ,वह अपने जीवन में असफल है.
⇨क्रिस्टोफर मोर्ले
→अपने दुश्मनों को हमेशा खीज भरे ख़त लिखें.उन्हें कभी भेजें नहीं.
⇨जेम्स फैल्लोस
→क्रोध वह तेज़ाब है जो किसी भी चीज जिसपर वह डाला जाये ,से ज्यादा उस पात्र को अधिक हानि पहुंचा सकता है जिसमे वह रखा है.
⇨मार्क ट्वेन
→क्रोध वह हवा है जो बुद्धि के दीप को बुझा देती है.
⇨रोबर्ट ग्रीन इन्गेर्सोल्ल
→कोई भी क्रोधित हो सकता है- यह आसान है, लेकिन सही व्यक्ति से सही सीमा में सही समय पर और सही उद्देश्य के साथ सही तरीके से क्रोधित होना सभी के बस कि बात नहीं है और यह आसान नहीं है.
⇨अरस्तु
→क्रोध के कारण की तुलना में उसके परिणाम कितने गंभीर होते हैं!
⇨मार्कस औरैलिय्स
→क्रोध को पाले रखना गर्म कोयले को किसी और पर फेंकने की नीयत से पकडे रहने के सामान है; इसमें आप ही जलते हैं.
⇨भगवान गौतम बुद्ध
→क्रोध पर यदि काबू ना किया जाये, तो वह जिस चोट के कारण उत्पन्न हुआ उससे से कहीं ज्यादा हानि पहुंचा सकता है.
⇨लुसिउस अन्नेईस सेनेसा
→हर एक मिनट जिसमे आप क्रोधित रहते हैं, आप ६० सेकेण्ड की मन की शांति खोते हैं.
⇨राल्फ वाल्डो इमर्सन
→हर बार जब आप क्रोधित होते हैं, तब आप अपनी ही प्रणाली में ज़हर घोलते हैं.
⇨अल्फ्रेड ऐ. मोंटापर्ट
→जो व्यक्ति बदले की भावना रखता है वो दरअसल अपने ही घावों को हरा रखता है.
⇨ फ्रांसिस बैकन
→एक क्रोधित व्यक्ति अपना मुंह खोल लेता है और आँख बंद कर लेता है.
⇨केटो
→क्रोध और असहिष्णुता सही समझ के दुश्मन हैं.
⇨महात्मा गाँधी
→क्रोध एक तरह का पागलपन है.
⇨होरेस
→क्रोध मूर्खों के ह्रदय में ही बसता है.
⇨अल्बर्ट आइन्स्टाइन
→जिस आदमी ने कभी किसी औरत को क्रोधित नहीं किया ,वह अपने जीवन में असफल है.
⇨क्रिस्टोफर मोर्ले
→अपने दुश्मनों को हमेशा खीज भरे ख़त लिखें.उन्हें कभी भेजें नहीं.
⇨जेम्स फैल्लोस
→क्रोध वह तेज़ाब है जो किसी भी चीज जिसपर वह डाला जाये ,से ज्यादा उस पात्र को अधिक हानि पहुंचा सकता है जिसमे वह रखा है.
⇨मार्क ट्वेन
→क्रोध वह हवा है जो बुद्धि के दीप को बुझा देती है.
⇨रोबर्ट ग्रीन इन्गेर्सोल्ल
→कोई भी क्रोधित हो सकता है- यह आसान है, लेकिन सही व्यक्ति से सही सीमा में सही समय पर और सही उद्देश्य के साथ सही तरीके से क्रोधित होना सभी के बस कि बात नहीं है और यह आसान नहीं है.
⇨अरस्तु
→क्रोध के कारण की तुलना में उसके परिणाम कितने गंभीर होते हैं!
⇨मार्कस औरैलिय्स
→क्रोध को पाले रखना गर्म कोयले को किसी और पर फेंकने की नीयत से पकडे रहने के सामान है; इसमें आप ही जलते हैं.
⇨भगवान गौतम बुद्ध
→क्रोध पर यदि काबू ना किया जाये, तो वह जिस चोट के कारण उत्पन्न हुआ उससे से कहीं ज्यादा हानि पहुंचा सकता है.
⇨लुसिउस अन्नेईस सेनेसा
→हर एक मिनट जिसमे आप क्रोधित रहते हैं, आप ६० सेकेण्ड की मन की शांति खोते हैं.
⇨राल्फ वाल्डो इमर्सन
→हर बार जब आप क्रोधित होते हैं, तब आप अपनी ही प्रणाली में ज़हर घोलते हैं.
⇨अल्फ्रेड ऐ. मोंटापर्ट
sahi hai....par fir bhi krodh aa hi jata hai...is say bachna namumkin tho nahi par muskil jaroor hai
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