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Showing posts from November, 2013

तुझको बुलाये तेरी चाँदनी..

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चंदा बिछड़ न जाये तेरी चाँदनी, आजा तुझको बुलाये तेरी चाँदनी लूटा दे के सहारा तेरे प्यार ने, बैरी हम को तो मारा तेरे प्यार ने ऐ चाँद तुम तो मेरी तन्हां रातों के गवाह हो , मेरी करवटों के गवाह हो मेरे बिस्तर की हर शिकन की तरह..  मैंने तो प्यार को भस्म की तरह समूची काया पे मल रक्खा हैं .. जैसे कि ऐ चाँद तुमने बादल की राख को अपने मुख पे मल रक्खा हैं .. अब किसी की बुरी नज़र या किसी का काला साया दोनों ही बेअसर हैं,   ऐ चाँद तुम तो मेरी तन्हां रातों के गवाह हो.. #Sandhya हाड़-मांस से बना ये शरीर कितना भी सुंदर क्यों ना हो, मिटना ही इसकी नियति है, नहीं मिटती तो आत्मा और उसमे बसी यादें ... धुंधली जरूर हो सकती है लेकिन मिटती नहीं सदियों तक अपने अंदर एक इतिहास समेटे रहती हैं, यादें अच्छी और बुरी दोनों ही होती है हर इंसान के जीवन में !! हरि ॐ तत्सत !!

राजा भोज और एक था गंगू तेली और आज ..

एक था राजा भोज और एक था गंगू तेली। राजा भोज यूं तो राजा ही थे। पर जमाने के चलन के हिसाब से कई बिल्डिंगों पर बहुत लोन ले रखे थे। हर महीने लोन की ईएमआई बढ़ जाया करती थी। खजाना खाली सा हो रहा था। बड़ा अद्भुत माहौल था। खजाना खाली हो रहा था, पर मंत्रीगण अमीर हो रहे थे। आंकड़े बता रहे थे कि प्रति व्यक्ति आय बढ़ रही है। पर सच यह था कि प्रति मंत्री आय बढ़ रही थी। किसी की 768 पर्सेंट सालाना, किसी 8787 पर्सेंट सालाना। समझदार अर्थशास्त्री मंत्रियों को ही देश मान ले रहे थे और डिक्लेयर कर रहे थे कि देश का भारी विकास कर रहा है। रोज-रोज नए घोटाले सामने आ रहे थे। अश्व घोटाला, रथ घोटाला, घृत घोटाला, इन घोटालों में मंत्रीगण दबाकर नोट खा चुके थे या खा रहे थे। अश्व घोटाले में अश्वों की कीमत लेकर खच्चर खरीदे गए थे और बाद में खच्चर देने वाली कंपनी कहने लगी कि सारे जानवर बराबर हैं। घोड़े और खच्चर में भेद कैसा... जानवर-जानवर में कोई भेद नहीं होना चाहिए। रथ घोटाले में यह हुआ कि रथ कागजों पर आए दिखा दिए गए। रथ विभाग का मंत्री सहयोगी दल का था, इसलिए उस वक्त चेकिंग नहीं हुई। बाद में चेकिंग हुई तो पता चला कि रथ आए...

हिंदी फॉण्ट कनवर्टर -खास आपके लिए

मेरी ये पोस्ट उन लोगो के लिए हैं जिनके पास उनकी पुरानी रचनाये हिंदी के चाणक्य ,कृति देव या 4cgandhi में टाइप करके रखी हुई हैं ,आजकल ज्यादातर यूनिकोड फॉण्ट का प्रयोग होता हैं | निचे दिये  लिंक पर जाकर  आप यूनिकोड से परस्पर चाणक्य ,कृति या गाँधी में फॉण्ट बदल सकते हैं | साथ ही ये उन लोगो के लिए भी उपयोगी हैं जो न्यूज़ पेपर के लिए काम करते हैं | अभी भी ज्यादातर न्यूज़ पेपर चाणक्य फॉण्ट का प्रयोग करते हैं | आप गूगल हिंदी इनपुट टूल से लिखे फॉण्ट को चाणक्य में बदल सकते हैं | हिंदी फॉण्ट कनवर्टर  के लिए clik करें  

हिंदी में टाइप करने के लिए

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गूगल पर जाओ और उसमे लिखो "गूगल ट्रांस्लितरेशन - टाइप इन हिंदी " जब वो खुल जाये तो उसके ऊपर की तरफ राईट हैण्ड साइड में डाउनलोड गूगल ट्रांस्लितरेशन आई एम् ई लिखा होगा उस पर क्लिक कर देना! सॉफ्टवेर डाउन लोड हो जायेगा !जब यह सॉफ्टवेर इंस्टाल हो जाए तो सबसे नीचे टास्क बार में क्लोक की तरफ एक EN लिखा आएगा............ उस पर क्लिक कर देना............... और उसमे से हिंदी को चुन लेना................ उसके बाद आप चाहे फेसबुक में टाइप करो या वर्ड में या एक्स्सल में या किसी सोफ्टवेयर में............. सब हिंदी में टाइप होगा! लिखोगे इंग्लिश में लेकिन कन्वर्ट हो जायेगा हिंदी में! जब आप हिंदी की जगह इंग्लिश चुन लोगे तो इंग्लिश में टाइप होगा! हिंदी में टाइप के लिए यहाँ किलिक करे http://www.google.com/inputtools/windows/

क्रोध पर महान लोगों के विचार

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क्रोध पर महान लोगों के विचार......... →जो व्यक्ति बदले की भावना रखता है वो दरअसल अपने ही घावों को हरा रखता है. ⇨ फ्रांसिस बैकन →एक क्रोधित व्यक्ति अपना मुंह खोल लेता है और आँख बंद कर लेता है. ⇨केटो →क्रोध और असहिष्णुता सही समझ के दुश्मन हैं. ⇨महात्मा गाँधी →क्रोध एक तरह का पागलपन है. ⇨होरेस →क्रोध मूर्खों के ह्रदय में ही बसता है. ⇨अल्बर्ट आइन्स्टाइन →जिस आदमी ने कभी किसी औरत को क्रोधित नहीं किया ,वह अपने जीवन में असफल है. ⇨क्रिस्टोफर मोर्ले →अपने दुश्मनों को हमेशा खीज भरे ख़त लिखें.उन्हें कभी भेजें नहीं. ⇨जेम्स फैल्लोस →क्रोध वह तेज़ाब है जो किसी भी चीज जिसपर वह डाला जाये ,से ज्यादा उस पात्र को अधिक हानि पहुंचा सकता है जिसमे वह रखा है. ⇨मार्क ट्वेन →क्रोध वह हवा है जो बुद्धि के दीप को बुझा देती है. ⇨रोबर्ट ग्रीन इन्गेर्सोल्ल →कोई भी क्रोधित हो सकता है- यह आसान है, लेकिन सही व्यक्ति से सही सीमा में सही समय पर और सही उद्देश्य के साथ सही तरीके से क्रोधित होना सभी के बस कि बात नहीं है और यह आसान नहीं है. ⇨अरस्तु →क्रोध के कारण की तुलना में उसके परिणाम ...

हींग Asafetida ..

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हींग  -- असाफोटीडा जिसे हम हिंदी में हींग कहते है |हींग कोई फल या फूल नहीं होती ,यह तो पेड़ के तने से निकली हुई गोंद होती है। इसका पेड़ 5 से 9 फीट उंचा होता है। इसके पत्ते 1 से 2 फीट लम्बे होते हैं। ये हींग बहुत  सारे रोगों में काम आती है आंखों की बीमारी होने पर हींग का सेवन करना चाहिए. । आइये कुछ महत्वपूर्ण उपयोगों के बारे में जान लीजिये-  प्रतिदिन के भोजन में दाल, कढ़ी व कुछ सब्जियों में हींग का उपयोग करने से भोजन को पचाने में सहायक होती है।  किसी महिला को अक्सर गर्भपात हो जाता हो तो यही हिंग उसे रोकने में सक्षम होती है।गर्भवती महिला को चक्कर आने पर या दर्द होने पर हींग को घी में सेंक कर तुरंत पानी से निगलवा दीजिये। पीलिया होने पर हींग को गूलर के सूखे फलों के साथ खाना चाहिए. पीलिया होने पर हींग को पानी में घिसकर आंखों पर लगाने से फायदा होता है  पेट में दर्द हो या कीड़े हों तो 3-4 चुटकी हींग का पाउडर पानी से खाली पेट निगल लीजिये।  कोई भी नशा विशेषतः अफीम का हो तो 2 ग्राम हींग का चूर्ण दही या पानी में मिला कर पिला दीजिये। दांतों की समस्याओं के लिए हींग बहुत ...

ओम जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे भक्त जनों के संकट..

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ॐ ओम जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे भक्त जनों के संकट, दास जनों के संकट क्षण में दूर करे, ओम जय... जो ध्यावे फल पावे, दुख बिनसे मन का स्वामी दुख बिनसे मन का सुख सम्पति घर आवे, कष्ट मिटे तन का, ओम जय... मात पिता तुम मेरे, शरण गहूँ किसकी स्वामी शरण गहूँ मैं किसकी तुम बिन और न दूजा, आश करूँ किसकी, ओम जय... तुम पूरण परमात्मा, तुम अंतरयामी स्वामी तुम अंतरयामी परम ब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी, ओम जय... तुम करुणा के सागर, तुम पालन करता स्वामी तुम पालन करता दीन दयालु कृपालु, कृपा करो भरता, ओम जय... तुम हो एक अगोचर सबके प्राण पति स्वामी सबके प्राण पति किस विधि मिलूँ दयामी, तुमको मैं कुमति, ओम जय... दीन बंधु दुख हरता, तुम रक्षक मेरे स्वामी तुम रक्षक मेरे करुणा हस्त बढ़ाओ, शरण पड़ूं मैं तेरे, ओम जय... विषय विकार मिटावो पाप हरो देवा स्वामी पाप हरो देवा श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ संतन की सेवा, ओम जय...

नारद जी श्रीकृष्ण से मिले ..

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एक बार नारद जी श्रीकृष्ण से मिलने पहुंचे। वह बड़ी आतुरता से उनके कक्ष में प्रवेश करने लगे कि तभी द्वारपालों ने रास्ता रोक दिया। नारद जी ने कारण पूछा तो उत्तर मिला, 'प्रभु अभी आराधना में व्यस्त हैं ।' नारद ने  कहा, 'रास्ता छोड़ो, मैं तुम्हारे इस बहकावे में नहीं आने वाला।' पर यह सुनकर भी संतरी डटे  रहे। मन मसोस कर उन्हें प्रतीक्षा करनी पड़ी। कुछ देर बाद स्वयं श्रीकृष्ण ने कपाट खोले।  नारद जी ने प्रणाम  करके तुरंत शिकायत की, 'देखिए न, आपके द्वारपालों ने एक बेतुका बहाना बनाकर मुझे भीतर जाने से रोक दिया। ये कह रहे थे कि आप पूजा कर रहे हैं ।' श्रीकृष्ण बोले, 'यह सत्यवचन है नारद। हम आराधना में ही मग्न थे।' नारद ने कहा,'भगवन् आप और आराधना?' श्रीकृष्ण बोले, 'देखना चाहोगे, हम किसकी आराधना में लीन थे? आओ भीतर आओ।'  भीतर एक पुष्पमंडित पालने पर अनेक छोटी- छोटी प्रतिमाएं झूल  रही थीं। नारद जी ने एकाग्र दृष्टि से देखा।  कुछ प्रतिमाएं गोकुल की गोप- मंडली की थीं, तो कुछ स्वयं उनकी। तब नारद जी ने बौराई आंखों से प्रभु को निहारा। फिर पूछा, 'भला आराध्य आर...

भगवान श्री कृष्ण की जन्म कुण्डली

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by  Narendra Singh Tomar Nst ये है भगवान श्री कृष्ण की जन्म कुण्डली ... जिसमें वृष के चंद्र लग्न में, सिंह के सूर्य चौथे मातृ स्थान पर, कन्या के बुध पंचम संतान एवं विद्या स्थान पर, तुला के शुक्र, शनि केतु छठे शत्रु स्थान पर (यह योग ही श्री कृष्ण को जीवन भर शत्रुओं और विरोधियों पर विजय दिलाता रहा और यही योग श्री कृष्ण को शाप लगने और उनकी मृत्यु होने (दरअसल यह योग हत्या होने का योग है , अत: श्री कृष्ण की बहेलिया द्वारा धोखे से ही हत्या हो गई ) का कारण बना , यहॉं पर शुक्र किसी राजसी स्त्री यानि गांधारी को वजह बनाता है जिसने श्री कृष्ण को शाप दिया , शनि किसी नीच जाति और तंत्र या शाप को वजह बनाता है जिसकी वजह से ब्याध (बहेलिया) श्री कृष्ण की मृत्यु की वजह बनाता है, छठा केतु जहॉं सारे शत्रुओं और विरोधियों का सर्वनाश कर देता है वहीं , यही केतु ही उसी आदमी की हत्या से मृत्यु का कारण बनता है , श्रीमती इंदिरा गांधी की जन्म कुंडली में भी यही छठा केतु विद्यमान था ) , मकर का मंगल उच्च का होकर नवम धर्म तीर्थ भाग्‍य स्थान में विराजमान है, मीन के गुरू एकादश भाव में आय स्थान में विराजमान हैं ।...