आँखों में ख़ुशी, गर्व और सम्मान के आंसू
इस साल मेरा सात वर्षीय बेटा दूसरी कक्षा मैं प्रवेश पा गया ....क्लास मैं हमेशा से अव्वल आता रहा है !
पिछले दिनों तनख्वाह मिली तो मैं उसे नयी स्कूल ड्रेसऔर जूते दिलवाने के लिए बाज़ार ले गया ! बेटे ने
जूते लेने से ये कह कर मना कर दिया की पुराने जूतों को बस थोड़ी-सी मरम्मत की जरुरत है वो अभी इस
साल काम दे सकते हैं! अपने जूतों की बजाये उसने मुझे अपने दादा की कमजोर हो चुकी नज़र के लिए
नया चश्मा बनवाने को कहा ! मैंने सोचा बेटा अपने दादा से शायद बहुत प्यार करता है इसलिए अपने जूतों की बजाय उनके चश्मे को ज्यादा जरूरी समझ रहा है ! खैर मैंने कुछ कहना जरुरी नहीं समझा और उसे लेकर ड्रेस की दुकान पर पहुंचा.....दुकानदार ने बेटे के साइज़ की सफ़ेद शर्ट निकाली ...डाल कर देखने पर शर्ट एक दम फिट थी.....फिर भी बेटे ने थोड़ी लम्बी शर्ट दिखाने को कहा !!!! मैंने बेटे से कहा : बेटा ये शर्ट तुम्हें बिल्कुल सही है तो फिर और लम्बी क्यों ?
बेटे ने कहा : पिता जी मुझे शर्ट निक्कर के अंदर ही डालनी होती है इसलिए थोड़ी लम्बी भी होगी तो कोई फर्क नहीं पड़ेगा.......लेकिन यही शर्ट मुझे अगली
क्लास में भी काम आ जाएगी ......पिछली वाली शर्ट भी अभी नयी जैसी ही पड़ी है लेकिन छोटी होने की
वजह से मैं उसे पहन नहीं पा रहा ! मैं खामोश रहा !!
घर आते वक़्त मैंने बेटे से पूछा : तुम्हे ये सब बातें
कौन सिखाता है बेटा ? बेटे ने कहा: पिता जी मैं अक्सर देखता था कि कभी माँ अपनी साडी छोड़ कर तो
कभी आप अपने जूतों को छोडकर हमेशा मेरी किताबों और कपड़ो पर पैसे खर्च कर दिया करते हैं ! गली-
मोहल्ले में सब लोग कहते हैं के आप बहुत ईमानदार आदमी हैं और हमारे साथ वाले राजू के पापा को सब
लोग चोर, कुत्ता, बे-ईमान, रिश्वतखोर और जाने क्या क्या कहते हैं, जबकि आप दोनों एक ही ऑफिस में
काम करते हैं.....जब सब लोग आपकी तारीफ करते हैं तो मुझे बड़ा अच्छा लगता है.....मम्मी और दादा
जी भी आपकी तारीफ करते हैं! पिता जी मैं चाहता हूँ कि मुझे कभी जीवन में नए कपडे,नए जूते मिले या
न मिले लेकिन कोई आपको चोर, बेईमान, रिश्वतखोर न कहे !!!!! मैं आपकी ताक़त बनना चाहता हूँ पिता
जी,आपकी कमजोरी नहीं ! बेटे की बात सुनकर मैं निरुतर था! आज मुझे पहली बार मुझे मेरी ईमानदारी
का इनाम मिला था !! आज बहुत दिनों बाद आँखों में ख़ुशी, गर्व और सम्मान के आंसू थे।
# राजन पाण्डेय
पिछले दिनों तनख्वाह मिली तो मैं उसे नयी स्कूल ड्रेसऔर जूते दिलवाने के लिए बाज़ार ले गया ! बेटे ने
जूते लेने से ये कह कर मना कर दिया की पुराने जूतों को बस थोड़ी-सी मरम्मत की जरुरत है वो अभी इस
साल काम दे सकते हैं! अपने जूतों की बजाये उसने मुझे अपने दादा की कमजोर हो चुकी नज़र के लिए
नया चश्मा बनवाने को कहा ! मैंने सोचा बेटा अपने दादा से शायद बहुत प्यार करता है इसलिए अपने जूतों की बजाय उनके चश्मे को ज्यादा जरूरी समझ रहा है ! खैर मैंने कुछ कहना जरुरी नहीं समझा और उसे लेकर ड्रेस की दुकान पर पहुंचा.....दुकानदार ने बेटे के साइज़ की सफ़ेद शर्ट निकाली ...डाल कर देखने पर शर्ट एक दम फिट थी.....फिर भी बेटे ने थोड़ी लम्बी शर्ट दिखाने को कहा !!!! मैंने बेटे से कहा : बेटा ये शर्ट तुम्हें बिल्कुल सही है तो फिर और लम्बी क्यों ?
बेटे ने कहा : पिता जी मुझे शर्ट निक्कर के अंदर ही डालनी होती है इसलिए थोड़ी लम्बी भी होगी तो कोई फर्क नहीं पड़ेगा.......लेकिन यही शर्ट मुझे अगली
क्लास में भी काम आ जाएगी ......पिछली वाली शर्ट भी अभी नयी जैसी ही पड़ी है लेकिन छोटी होने की
वजह से मैं उसे पहन नहीं पा रहा ! मैं खामोश रहा !!
घर आते वक़्त मैंने बेटे से पूछा : तुम्हे ये सब बातें
कौन सिखाता है बेटा ? बेटे ने कहा: पिता जी मैं अक्सर देखता था कि कभी माँ अपनी साडी छोड़ कर तो
कभी आप अपने जूतों को छोडकर हमेशा मेरी किताबों और कपड़ो पर पैसे खर्च कर दिया करते हैं ! गली-
मोहल्ले में सब लोग कहते हैं के आप बहुत ईमानदार आदमी हैं और हमारे साथ वाले राजू के पापा को सब
लोग चोर, कुत्ता, बे-ईमान, रिश्वतखोर और जाने क्या क्या कहते हैं, जबकि आप दोनों एक ही ऑफिस में
काम करते हैं.....जब सब लोग आपकी तारीफ करते हैं तो मुझे बड़ा अच्छा लगता है.....मम्मी और दादा
जी भी आपकी तारीफ करते हैं! पिता जी मैं चाहता हूँ कि मुझे कभी जीवन में नए कपडे,नए जूते मिले या
न मिले लेकिन कोई आपको चोर, बेईमान, रिश्वतखोर न कहे !!!!! मैं आपकी ताक़त बनना चाहता हूँ पिता
जी,आपकी कमजोरी नहीं ! बेटे की बात सुनकर मैं निरुतर था! आज मुझे पहली बार मुझे मेरी ईमानदारी
का इनाम मिला था !! आज बहुत दिनों बाद आँखों में ख़ुशी, गर्व और सम्मान के आंसू थे।
# राजन पाण्डेय
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