फिर किसी आहट का इंतज़ार हो जाए .

जब किसी से प्यार हो जाए
ज़िन्दगी चीते की रफ्तार हो जाए 

मिलता है कभी , जब भी दिल का साथी
खिज़ा के दौर में भी बहार हो जाए .

अमावस में ,भी चराग जलाने का मन नही करता
जब किसी की याद दिल पे सवार हो जाए .

उनसे रिश्ते की पाकीज़गी सलामत रहें सदा
डरता हूँ , ना कोई इसमें दरार हो जाए

उनकी जब भी खेर--खबर मिलती है
धड़कता दिल , गुले--गुलज़ार हो जाए .

यादें दोड़ती है , खरगोश सी , मासूम सी ,अच्छी सी
चलों आज फिर किसी आहट का इंतज़ार हो जाए .


# अशोक 

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