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Showing posts from July, 2022

इस्लाम के अब तक के नबियों का लेखा जोखा

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यह एक स्थापित सत्य है कि पिस्लाम का कांसेप्ट आज से लगभग 1400 साल पहले महामद ने लाया था. लेकिन, देश और दुनिया के संबंध में महज 1400 साल बेहद ही कम होता है और इससे उन्हें काफी नया एवं हल्का माना जाता. इसीलिए, उन्होंने अपने मजहब में वजन लाने के लिए अफवाह उड़ा दिया कि... हमलोग भी काफी पुराने मजहब हैं. और, कहना शुरू कर दिया कि.... दुनिया की शुरुआत ही हमारे मजहब से हुई है. इसके लिए उन्होंने... एक शिगूफा छोड़ दिया कि... हमारे महामद तो सबसे अंतिम नबी थे और मजहब में एक नहीं बल्कि 1,24,000 हुए हैं. आप दुनिया के किसी भी कटेशर से पूछ के देखो तो शान से छाती फुलाकर बताएगा कि उसके तो 1,24,000 नबी हुई हैं आजतक. अब ये बात अलग है कि... अगर आप किसी भी कटेशर से उन तथाकथित 1,24,000 नबियों में से 10-12 नबियों के नाम भी पूछोगे तो वो अपनी बीबियों के बुर्के में मुँह छुपा कर भाग जाएगा. खैर.... हमलोग भी उनके बाप हैं और उनका इतिहास खोद कर निकाल लाने में सिद्धहस्त हैं इसीलिए... आज उन्हीं की कही बात को मानते हुए इस बात का पोस्टमार्टम करते हैं. और, आज पिस्लाम की ही कुछ दबी हुई किताबों से इस बात का जिंदा सब...

धरती की उत्पति के साथ इस्लाम आया तो फिर ये क्यो?

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 चलो भाई माना जब से धरती पर मानव जाति है तब से इस्लाम है , पर ये बताओ भारत मे मुस्लिम 30%  और सनातनी 100  करोड़ कैसे हुए ??? क्या कोई बुराई थी इस्लाम मे जो 130 करोड़ मुस्लिम में से 100 करोड़ ने हिन्दू धर्म अपना लिया??? दुनिया में 6 प्रकार की कुरान है सभी कुरान एक दूसरे से अलग अलग है और उनकी आयतो की संख्या भी अलग अलग है और सभी कुरान को मानने वाले एक दूसरे की कुरान को ग़लत कहते है......कोई आप बतला सकते है निम्लिखित इन 6 कुरान में से असली कुरान कौन सी है......?? 1. कूफी कुरान...आयत 6236 2. बशरी कुरान...आयात 6216 3. शयामि कुरान...आयत 6250 4. मक्की कुरान...आयत 6212 5. ईराकी कुरान...आयत 6214 6. साधारण कुरान (आम कुरान)...आयत 6666 सबके पूर्वज हजरत आदम है ।  तो ये  (1) एक भी नदी का नाम शबनम ,शबाना , रुखसाना नही रख पाए ? क्योंकि आदिकाल से गंगा यमुना नर्मदा जैसी अनेको नदिया है। (2) एक भी पर्वत का नाम अब्दुल ,सलीम ,नही रख पाए ? क्योंकि आदिकाल से हिमालय ,नीलगिरी जैसे अनेको पर्वत है। (4) पीपल बरगद जैसे अनेको पेड़ो के नाम उर्दू में क्यों नही ? ( 5) तुलसी ,अर...

इस्लाम का वास्तविक पुरातन यतार्थ

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प्राचीन कालीन अरबों के प्रधान तीर्थ मक्का का भी बहुत सुन्दर वर्णन किया गया है। शायर-उल-ओकुल की भूमिका में मक्का में प्रतिवर्ष महाशिवरात्रि के अवसर पर आयोजित होने वाले वार्षिक मेले "ओकाज़" का वर्णन है। स्मरण रहे, वर्तमान प्रचलित वार्षिक हज-यात्रा भी कोई इस्लामी विशेषता नहीं है, अपितु प्रागैस्लामी "ओकाज" (धार्मिक मेला) का ही परिवर्तित रूप है। इस मेले का मुख्य आकर्षण मक्का के मुख्य मन्दिर मक्केश्वर महादेव (अब ‘अल-मस्जि़द-अल-हरम') के प्रांगण में होने वाला एक सारस्वत कवि सम्मेलन था, जिसमें सम्पूर्ण अर्वस्थान से आमन्त्रित कवि काव्य पाठ करते थे। ये कविताएँ पुरस्कृत होती थीं। सर्वप्रथम कवि की कविता को स्वर्ण पत्र पर उत्कीर्ण कर मक्केश्वर महादेव मन्दिर के परमपावन गर्भगृह में लटकाया जाता था। द्वितीय और तृतीय स्थान प्राप्त कविताओं को क्रमशः ऊँट और भेड़/बकरी के चमड़े पर निरेखित कर मन्दिर की बाहरी दीवारों पर लटकाया जाता था। इस प्रकार अरबी साहित्य का अमूल्य संग्रह हजारों वर्षों से मन्दिर में एकत्र होता चला आ रहा था। यह ज्ञात नहीं है कि यह प्रथा कब प्रारम्भ हुई थी,...