अँगूठी की कीमत ....
अँगूठी
*
खान साहब ने अपने लिये शादी का इश्तेहार दिया तो कई लड़कियों के
रिश्ते आ गये। काम काज और
संपत्ति के बारे में पूछने पर खान साहब सबको यही बताते “मैं तो
किराये के मकान मे रहता हूं। कभी मेरा
अच्छा खासा व्यापार भी था पर माँ बाप की लम्बी बीमारी की वजह से
घर में ना तो कुछ पैसा ही बच पाया
और काम धंधे पर भी ध्यान नहीं दे सका. लेकिन अब दोनो के इंतकाल
हो जाने के बाद फिर से कुछ करने का इरादा है. संपत्ति के नाम पर मेरे पास बस उँगली में पहनी यह एक
अँगूठी ही रह गयी है। बाकी
सब बिक गया. मैं शरीफ खानदान का हूँ और अपनी बीवी को भी हमेशा सुखी रखूँगा यह मेरा वादा है. ऐसे
हालात में जो भी लड़की मुझसे शादी करना चाहे हाँ कर सकती है ” दस लड़कियों के रिश्ते आये और
फक्कड़ की बातों को सुनकर उनको पागल समझकर चले गये. ग्यारवां रिश्ता एक सरदारनी मंजीत कौर
का आया. उसे खान साहब की साफदिली ऐसी भाई कि उसने रिश्ते के लिये हाँ कर दी. शादी भी सादगी के
साथ हो गयी।
एक दिन मंजीत की सहेली आबिदा उससे मिलने उसके घर आयी. घर बहुत आलीशान था. आबिदा को
पता चला कि यह उन्हीं खान साहब का घर है जिनका रिश्ता उसने भी ठुकरा दिया था. उसने मंजीत से
पूछ ही लिया “ अरे मंजीत, ये तुम लोगों के पास इतनी दौलत कहाँ से आ गयी ? वो तो कहते थे कि उनके
पास
बस एक अँगूठी के सिवा कुछ भी नहीं है ?” “ हाँ सही कहते थे. मंजीत ने जवाब दिया. “पर वो उनकी
खानदानी अँगूठी थी और उस अँगूठी की कीमत थी दो करोड़ रुपये. यह बात खान साहब को अच्छी तरह
पता थी पर वो तो ऐसी लड़की की तलाश में थे जो उनकी दौलत को नहीं उन्हें देखकर शादी करे. अँगूठी
बेचकर हमने यह घर खरीदा, एक होटल खरीदा जिसकी देखभाल मैं करती हूं और बाकी पैसा इनके
व्यापार को ठीक करने में लगा। अब हम लोग बहुत संपन्न हैं.” आबिदा मन ही मन सोच रही थी कि
उसने अंजाने में एक नहीं दो दो हीरों को ठुकरा दिया था. एक अँगूठी में लगे हीरे को और दूसरा उस अँगूठी
को पहनने वाले हीरे को।
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjzjFdwkHQxQJMxDHwFOaT0w4ShgFbfdxoIvxYZtuLA-iN46MZ8YshzLFTFMMD1DXdRygxv_czsbgvicJ7kKXNogRQTa7_kXgGiH1SJZ7VUNWwofolk59oi9tKIMGl7_1p99WH7tE02oDA/s1600/download.jpg)
खान साहब ने अपने लिये शादी का इश्तेहार दिया तो कई लड़कियों के
रिश्ते आ गये। काम काज और
संपत्ति के बारे में पूछने पर खान साहब सबको यही बताते “मैं तो
किराये के मकान मे रहता हूं। कभी मेरा
अच्छा खासा व्यापार भी था पर माँ बाप की लम्बी बीमारी की वजह से
घर में ना तो कुछ पैसा ही बच पाया
और काम धंधे पर भी ध्यान नहीं दे सका. लेकिन अब दोनो के इंतकाल
हो जाने के बाद फिर से कुछ करने का इरादा है. संपत्ति के नाम पर मेरे पास बस उँगली में पहनी यह एक
अँगूठी ही रह गयी है। बाकी
सब बिक गया. मैं शरीफ खानदान का हूँ और अपनी बीवी को भी हमेशा सुखी रखूँगा यह मेरा वादा है. ऐसे
हालात में जो भी लड़की मुझसे शादी करना चाहे हाँ कर सकती है ” दस लड़कियों के रिश्ते आये और
फक्कड़ की बातों को सुनकर उनको पागल समझकर चले गये. ग्यारवां रिश्ता एक सरदारनी मंजीत कौर
का आया. उसे खान साहब की साफदिली ऐसी भाई कि उसने रिश्ते के लिये हाँ कर दी. शादी भी सादगी के
साथ हो गयी।
एक दिन मंजीत की सहेली आबिदा उससे मिलने उसके घर आयी. घर बहुत आलीशान था. आबिदा को
पता चला कि यह उन्हीं खान साहब का घर है जिनका रिश्ता उसने भी ठुकरा दिया था. उसने मंजीत से
पूछ ही लिया “ अरे मंजीत, ये तुम लोगों के पास इतनी दौलत कहाँ से आ गयी ? वो तो कहते थे कि उनके
पास
बस एक अँगूठी के सिवा कुछ भी नहीं है ?” “ हाँ सही कहते थे. मंजीत ने जवाब दिया. “पर वो उनकी
खानदानी अँगूठी थी और उस अँगूठी की कीमत थी दो करोड़ रुपये. यह बात खान साहब को अच्छी तरह
पता थी पर वो तो ऐसी लड़की की तलाश में थे जो उनकी दौलत को नहीं उन्हें देखकर शादी करे. अँगूठी
बेचकर हमने यह घर खरीदा, एक होटल खरीदा जिसकी देखभाल मैं करती हूं और बाकी पैसा इनके
व्यापार को ठीक करने में लगा। अब हम लोग बहुत संपन्न हैं.” आबिदा मन ही मन सोच रही थी कि
उसने अंजाने में एक नहीं दो दो हीरों को ठुकरा दिया था. एक अँगूठी में लगे हीरे को और दूसरा उस अँगूठी
को पहनने वाले हीरे को।
परीक्षा लेने और देने दोनो में अक्ल लगानी पडती है ..
ReplyDeleteपर संयोग दुर्योग का भी खेल होता ही है !!