साहूकार की आत्मा
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बीमार पड़े तो तो गाँव वालों से कहा कि ' हम सोच रहे है कि आप सब को हमने बहुत कष्ट दिए है , अब प्रायश्चित ही कर लें ' ........... ,
आप सब हमें सजा दीजियेगा मरने के बाद हमारी छाती में खूंटा गाड़ दीजियेगा और इस तरह शायद मेरी दुष्टात्मा को शांति मिल जाए ,
लाला जी के मरने पर गाँव वालों ने वैसा ही किया , तुरंत पुलिस आयी कईयों को पकड़ कर ले गयी , क्योंकि लाला जी मरने के पहले पुलिस थाने में रिपोर्ट लिखा गए थे कि गाँव के कुछ लोग हमारी छाती में ' खूँटा ठोक ' कर हमें मारने का प्लान बना रहे है ,
और इस तरह मरकर भी लाला जी ने गाँव को नहीं छोड़ा ,
साथियोँ दुष्टात्मायें ऐसी ही होती है ......!!
साहूकार नहीं केजरीवाल लिखिए ज़नाब.
ReplyDelete:) बिलकुल अरुण जी
Deleteईमानदारी...
ReplyDeleteकी बीमारी
छोड़ के आजा...
दौड़ के आजा
करे काशी तुझ को इनवाईट...
सारी रात बेशर्मी की हाईट!