जहाँ भी तू है लौटके आ जा
कितना प्यार है तुझसे माँ! बस मैं कह नहीं पाता था।
बहुत बुरा हूँ, बात-बात में तेरा दिल दुखाता था।।
भीगे-भीगे नैन लिए, दिन-रात अब आहें भरता हूँ।
जहाँ भी तू है लौटके आ जा, मैं फ़रियाद करता हूँ।।
आज तो इतना तन्हा हूँ मैं, हर तरफ़ है तन्हाई।
इस क़दर तू दूर गई, फिर कभी लौटकर न आई।।
इन दिनों ये हाल है मेरा, अपने आपसे डरता हूँ।
जहाँ भी तू है लौटके आ जा, मैं फ़रियाद करता हूँ।।
गले लगाके करती थी, प्यार ज़ाहिर, आए दिन।
मुझे याद है तू रोती थी, मेरी ख़ातिर, आए दिन।।
आज तो मैं, हाय-हाय! उसी प्यार को मरता हूँ।
जहाँ भी तू है लौटके आ जा, मैं फ़रियाद करता हूँ।।
दुआ है मेरी मौला से, मुक़म्मल जहाँ सबको दे।
हाँ ऐ काश! वो तेरी जैसी, प्यारी माँ सबको दे।
मैं तो ऐसा टूट गया हूँ, जुड़ने से भी डरता हूँ।
जहाँ भी तू है लौटके आ जा, मैं फ़रियाद करता हूँ।।
# यमित पुनेठा
क्या बात है ,सुंदर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteधन्यवाद :)
Deleteसुन्दर और भावपूर्ण अभिव्यक्ति
ReplyDeleteआशा जी धन्यवाद
DeleteBahut achha aur marmsparshi!
ReplyDeleteआपका धन्यवाद
Deleteune maman c'est toute la vie,quiconque ne peut la remplacer
ReplyDeleteश्रेष्ठ प्रस्तुति, भाव और अभिव्यक्ति बहुत सुन्दर, उम्दा....
ReplyDeleteआभार आपका
Deleteमैं तो ऐसा टूट गया हूँ, जुड़ने से भी डरता हूँ।
ReplyDeleteजहाँ भी तू है लौटके आ जा, मैं फ़रियाद करता हूँ....bahut badhiya ji
बहुत बहुत धन्यवाद उपासना जी
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