सिनेमा की ताकत दिखती फिल्म जय संतोषी माँ
1975 में आज ही के दिन बॉलीवुड की एक फ़िल्म रिलीज़ हुई थी, नाम था जय संतोषी माँ। 15 लाख की लागत से बनी इस फ़िल्म नें बॉक्स ऑफिस पर उस वक्त के भारत मे पाँच से छः करोड़ रुपए कमाए थे। अपने समय में ये शोले के बाद सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म थी। इस फ़िल्म को देखने के लिए लोग सिनेमा हॉल तक बैलगाड़ियों में मीलों की यात्रा करते थे। दर्शक हॉल की सिनेमा स्क्रीन पर फूल औऱ सिक्के फेंकते थे। कई सारे थिएटर, जहां ये फ़िल्म लगी थी, मन्दिर कहलाये जाने लगे थे। जैसे शारदा टॉकीज को शारदा मन्दिर कहा जाने लगा था औऱ बन्द होने तक इस सिनेमा हॉल का नाम शारदा टॉकीज ही रहा। फ़िल्म देखने आने वाले लोग थिएटर के बाहर जूते चप्पल उतारते थे। उस वक्त के कई छोटे सिनेमा हॉल के मालिको नें पैसे कमाने के लिए थिएटर के बार दान पेटियाँ तक रखवा दी थी। दिलचस्प बात ये है कि सन 1975 में जब ये फ़िल्म रिलीज़ हुई थी तो उससे पहले ज्यादातर लोगों ने इस देवी के बारे में सुना तक नहीं था। सन्तोषी माता का जिक्र पुराणों में कहीं भी नहीं है। सन्तोषी माता दरअसल भारत के कुछ गांवों में पूजी जाने वाली ग्राम देवी थी जिनकी मान्यता रोगों के ...