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Showing posts from January, 2015

गरीब की आग

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उस आदमी का घर जल रहा था। वह अपने परिवार सहित आग बुझाने का प्रयास कर रहा था लेकिन आग प्रचंड थी।बुझने का नाम न लेती थी। ऐसा लगता है जैसे शताब्दियों से लगी आग है, या किसी तेल के कुएं में माचिस लगा दी गई है या कोई ज्वालामुखी फट पड़ा है। आदमी ने अपनी पत्नी से कहा, "इस तरह की आगतोहमनेकभी नहीं देखी थी।" पत्नी बोली, "हां क्योंकि इस तरह की आग तो हमारे पेट में लगा करती है। हम उसे देख नहीं पाते थे।" वे आग बुझाने की कोशिश कर रहे थे कि दो पढ़े-लिखे वहां आ पहुंचे। आदमी ने उनसे कहा, "भाई हमारी मदद करो।" दोनों ने आग देखी और डर गए। बोले, "देखो, हम बुद्धिजीवी हैं, लेखक हैं, पत्रकार हैं, हम तुम्हारी आग के बारे में जाकर लिखते हैं।" वे दोनों चले गए। कुछ देर बाद वहां एक आदमी और आया। उससे भी इस आदमी ने आग बुझाने की बात कही। वह बोला, "ऐसी आग तो मैंने कभी नहीं देखी… इसको जानने और पता लगाने के लिए शोध करना पड़ेगा। मैं अपनी शोध सामग्री लेकर आता हूं, तब तक तुम ये आग न बुझने देना।"वह चला गया। आदमी और उसका परिवार फिर आग बुझाने में जुट गए। पर आग थी कि काबू में ही न आ...

भूत ने छात्रा को किया प्रेगनेंट, पैदा हुए जुड़वा बच्चे फिर..

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देहरादून। आस्था की नगरी हरिद्वार में एक भूत ने बवाल मचा रखा है। भूत का दिल एक 26 साल की युवती पर आ गया। भूत युवती की ओर इस कदर पागल हुआ कि रात के वक्त युवती के घर पहुंच गया। इतना ही नहीं रात के वक्त भूत ने छात्रा के साथ शारीरिक संबंध भी बनाए। युवती प्रेगनेंट हुई.. नौ माह बाद उसने जुड़वा बच्चों को जन्म भी दिया। अब भूत बच्चों को लेकर फरार है। यह किस्सा सुनकर सब चकराए हुए हैं। भूत द्वारा प्रेगनेंट किए जाने का दावा करने वाली छात्रा उत्तराखंड की रहने वाली है। युवती की कही एक भी बात पर कोई विश्वास करने को तैयार नहीं है। मामला सामने तब आया जब युवती पुलिस थाने पहुंच गई और पुलिसकर्मियों से चीख-चीख कर अपने बच्चों को खोजने की गुहार लगाने लगी। संबंधित थाने की पुलिस के अनुसार यह युवती पढ़ी-लिखी है और अग्रेंजी फर्राटेदार बोलती है। युवती ने यह भी बताया कि वो इंजीनियरिंग की छात्रा भी है। युवती के पास एक डायरी भी है। पुलिस ने बताया कि युवती ने उसकी एक डायरी भी गुम हो जाने की बात कही है जिसमें उसकी अजीबोगरीब आपबीती लिखी है। युवती के इस दावे ने हरिद्वार में सनसनी फैला रखी है। बहरहाल पुलिस युवती को अर्धवि...

गूंजती आवाजों का रहस्य (भूत की कहानी )

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मेरा नाम रामा मूर्ति है, मैं दक्षिण भारत के कुन्नूर जिले का रहने वाला हूँ और अपने अंकल से मिलने कोट्टायम आया था। वैसे मैं भूत-प्रेत में विश्वास नहीं करता लेकिन उस दिन जो मेरे साथ हुआ था, उसे देखकर मैं इस किस्से को आपके सामने रखना चाहता हूँ। उस रात वहाँ पर हम परिवार के पाँच सदस्य मैं, मेरी दादी-अम्मा, चाचा-चाची और मेरा चचेरा भाई थे और मैं सोफे पर लेट कर दादी से बात कर रहा था और चाचा, चाची और मेरा चचेरा भाई ऊपरी माले पर बने कमरे में सो रहे थे। रात के गयारह बजे होंगे कि तभी मैंने अचानक देखा कि किसी ने गैलरी की रोशनी बन्द कर दी। जिस कमरे में हम बैठे थे वो गैलरी से थोड़ी दूरी पर था और मुझे वहाँ से गैलरी में कुछ नहीं दिख रहा था। यह सुनिश्चित करने के लिए मैंने अपने चचेरे भाई ‘कृष्णा’ को आवाज़ दी और दूसरी तरफ मुझे ‘हाँ’ की आवाज़ सुनाई दी। मैं चौंक गया कि वो वहाँ कैसे पहुँच गया क्योंकि उस गैलरी तक सिर्फ हमारे कमरे से ही जाने का रास्ता है। मैंने फिर से तेज आवाज में उसका नाम पुकारा और इस बार भी वही आवाज़ दुगनी तेज सुनाई दी। जब मैंने इसे बार बार सुना तो मैंने बिना डरे उस अंधेरी गैलरी में जाने का सोचा ...

दृष्टि भेद (Eye Movements: Drusti Bheda) भरतनाट्यम ,वीडियो के साथ

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संस्कृत शब्द दृष्टि का अर्थ 'देखने ' दृष्टि से है यह हमारी आंखोंके संबंध में है जिसका प्रयोग देखने से होता है ।आँख का मटकाना या आंदोलित करना होता है जिसमे आंखो के अंदर के काले गोले को तरह तरह से मटका कर डांस मे भाव की अभिव्यक्ति करते है। वैसे इन का प्रयोग हम सभी अपनी दिनचर्या मे करते रहते है। शास्त्रों के अनुसार नेत्र आंदोलनों के आठ प्रकार के होते हैं: 1. समा: नेत्र किसी भी आंदोलन के बिना साधारण तरीके से रखते है। 2. आलोकिता: इसमे आंखो को चारों और गोल धूमते है। 3. साची: आँखों के कोने के माध्यम से या तिरछा देखते हैं। 4. प्रलोकिता : इस तरफ से उस तरफ तक तिरछा देखते है। 5. निमीलित: इसमे आंखो को आधा बंद करते है । ये एक प्रकार से ध्यानावस्था या प्रेम भाव दिखने के लिए नृत्य मे प्रयोग करते है। 6. उललोकिता: ऊपर की ओर देखते हैं। 7. अनुवृत्ता: ऊपर और नीचे आंखों की तीव्र आंदोलनकरना । 8. अवलोकिता: नीचे देखते है । श्लोक: समम  अलोकितम  साची  प्रलोकिता  निमिलिटी उललोकिता-अनुवृत्ति  चा तथा चैव -अवलोकितम इत्याष्ठो  दृष्टि  भेदः  स्यु  कीर्तितः  देख।